Army's Advisory on Nuclear Virus Terror!
केरल के कोजिकोडे जिले में फैले निपाह वायरस ने भारतीय सेना को भी चिंता में डाल दिया है. निपाह वायरस के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए सेना के डायरेक्टर जनरल आफ मेडिकल सर्विसेस की तरफ से एक एडवाइजरी आर्मी के सभी छह कमांड हेडक्वाटर्स को भेजी गई है. सेना की एडवाइजरी में बताया गया है कि निपाह वायरस के संक्रमण से अब तक केरल के कोजिकोडे जिले में अब तक तीन मौतें हो चुकी है. हालांकि केरल सरकार ने निपाह वायरस से दस लोगों के मौत की पुष्टि की है.
सेना का कहना है कि केरल सहित भारत में इस वायरस को पहली बार डिटेक्ट किया गया है. निपाह वायरस के संक्रमण से निजात दिलाने के लिए नेशनल सेंटर फार डिसीज कंट्रोल (एनसीडीसी) की एक टीम केरल पहुंच चुकी है, जो संक्रमण से बचाव और संक्रमित लोगों के इलाज पर काम कर रही है. सेना ने अपने सभी सैनिकों और अधिकारियों को सलाह दी है कि इस संक्रमण से बचने के लिए चमगादड़ और सुअर से दूरी बनाकर रखें. सेना ने खास तौर पर अपने सैनिकों को ताकीत किया है कि संक्रमित इलाकों में पेड़ो से जमीन पर गिरे फलों का सेवन बिल्कुल भी न करें. इन फलों के खाने से वे संक्रमण का शिकार हो सकते हैं.
मलेशिया में पहली बार डिटेक्ट हुआ था निपाह वायरस
सेना की एडवाइजरी में बताया गया है कि निपाह का वायरस न केवल बेहद तेजी से फैसला है बल्कि इसकी चपेट में आने वाला शख्स उतनी ही तेजी से इसे आगे बढ़ाता है. इस वायरस को पहली बार 1998 में मलेशिया में डिटेक्ट किया गया था. इस बीमारी को तेजी से फैलाने में चमगाड़द (चमगादड़) को नेचुरल होस्ट माना गया है. आम तौर पर इस वायरस की चपेट में आने वाले 40 से 70 फीसदी लोगों मौत हो जाती है. कई मामलों में जान जाने की दर 100 फीसदी तक भी पहुंची है.
कैसे फैलता है यह वायरस
सेना की मेडिकल सर्विसेस की टीम ने अपने अध्ययन में पाया है कि चमगादड़ के शरीर से होने वाले विभिन्न श्राव से यह इंफेक्शन सबसे तेजी से फैलता है. इसके अलावा, यह भी पाया गया है सुअर अपने कफ के जरिए इस वायरस को तेजी से फैलाते हैं. अध्ययन में कई ऐसे उदाहरण भी मिले हैं, जिसमें यह संक्रमण एक शख्स से दूसरे शख्स में फैला है.
4 से 18 दिनों में दिखते हैं लक्षण
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार इस वायरस से संक्रमित लोगों में इंफ्लूयेंजा की तरह लक्षण दिखते हैं. जिसमें तेज बुखार आना और शरीर में तेज दर्द होना प्रारंभिक लक्षण है. कुछ परिस्थितियां ऐसी भी आई हैं, जिसमें मरीज कोमा में चला गया है. स्वास्थ्य विभाग के अनुसार इस वायरस का इंक्यूबेशन पीरियड 4 से 18 दिनों के बीच है.
अभी तक सामने नहीं आया कोई सटीक इलाज
सेना की हेल्थ सर्विस के अनुसार अभी तक इस संक्रमण के निजात पाने का सटीक इलाज सामने नहीं आया है. मौजूदा समय में इस वायरस के इलाज के लिए न्यूरोजिकल सिंटम पर फोकस किया जा रहा है. साथ ही, नोजिया और वोमिटिंग (उल्टी) रोकने संबंधी उपचार दिए जा रहे हैं. इजाल के दौरान मरीज को वेंटीलेटर में रखने की जरूरत भी पड़ सकती है.