राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आम आदमी पार्टी (आप) के 20 विधायकों को आयोग्य घोषित किए जाने की निर्वाचन आयोग की सिफारिश को मंजूरी दे दी है। इस बावत राष्ट्रपति भवन से अधिसूचना जारी हुई है। इस मंजूरी के बाद, केंद्रीय कानून एवं न्याय मंत्रालय ने एक अधिसूचना जारी की जिसमें कहा गया कि राष्ट्रपति ने दिल्ली विधानसभा के 20 सदस्यों को दिल्ली के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की सरकार अधिनियम (जीएनसीटीडी) के तहत अयोग्य ठहराया है। इस आम आदमी पार्टी ने दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल का एक रोचक वीडियो जारी किया है। इस वीडियो में अरविंद केजरीवाल कहते नजर आ रहे हैं कि शायद ऊपर वाले को पता था कि दिल्ली में चुनाव के तीन साल बाद आप के 20 विधायक अयोग्य घोषित होने वाले हैं, इसलिए पार्टी को चुनाव में 70 में से 67 सीटें मिली। इस वीडियो में केजरीवाल केन्द्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर तंज कसते नजर आ रहे हैं। केजरीवाल इस वीडियो में कहते हैं, ‘हर तरह से हमें प्रताड़ित करने की कोशिश की जा रही है, हर तरह से, हमारे ऊपर झूठे केस कर दिये, हमारे 20 विधायकों पर झूठे केस कर दिये।’
आगे केजरीवाल ने कहा, ‘जब इस मामले पर ये कोर्ट गये तो कोर्ट ने इन्हें खूब फटकार लगाई, मेरे ऊपर सीबीआई की रेड कर दी इन्होंने बताओ, पूरे देश में केजरीवाल ही इन्हें भ्रष्टाचारी मिला, बाकी सब ईमानदार मिले। मेरे घर भी रेड करने आए दफ्तर भी आए थे, सारा दिन, 24 घंटे सीबीआई वाले रेड करते रहे, 4 मफलर मिला और कुछ नहीं।’ केजरीवाल के इस बयान पर लोगों ने खूब ठहाके लगाये।
उन्होंने फिर कहा, ‘जब हमारी 70 में से 67 सीट आई थी मैं सोचा करता था ये भगवान ने क्या करिश्मा कर दिया, हमारी औकात क्या है, ऊपर वाले को पता था 3 साल बाद ये 20 डिस्क्वालिफाई करने वाले है, इतने दे दो, इतने दे दो इनको…गलत तो नहीं कह रहा जी।’ केजरीवाल ने आगे कहा कि सच्चाई की राह पर चलने वाले के सामने कई बाधाएं आती है, लेकिन उन्हें हिम्मत नहीं हारनी चाहिए। दिल्ली के सीएम ने कहा कि पार्टी के कार्यकर्ता सच्चाई के रास्ते पर चलें, अंत में जीत उन्हीं की होगी।
बता दें कि निर्वाचन आयोग ने शुक्रवार (19 जनवरी) को आप के 20 विधायकों को अयोग्य ठहराने की सिफारिश की थी। इन सभी पर बतौर संसदीय सचिव लाभ के पद पर आसीन होने के आरोप लगाए गए थे। आयोग ने राष्ट्रपति को अपना सुझाव वकील प्रशांत पटेल की शिकायत पर दिया था। हिंदू लीगल सेल के सदस्य पटेल ने जून 2015 में संसदीय सचिवों की नियुक्ति को अवैध ठहराते हुए तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के समक्ष याचिका दाखिल की थी।