As the layers open in the CBI investigation, the growing surprise: SSC paper leaks
हर साल औसतन 4 लाख से अधिक नौजवानों को रोजगार मुहैया कराने वाले स्टॉफ सेलेक्शन कमीशन (एसएससी) की साख आज खतरे में है. इस खतरे की वजह बना है कंबाइंड ग्रेजुएट लेबल (सीजीएल) के प्रश्न पत्र लीक होने का मामला. दरअसल, यह मामला 21 फरवरी 2018 को सामने आया था. सरकारी नौकरी पाने की उम्मीद लिए हजारों नौजवान 21 फरवरी की सुबह स्टाफ सेलेक्शन कमीशन (एसएससी) की परीक्षा के लिए तैयार थे. ये नौजवान परीक्षा केंद्र में दाखिल होते, इससे पहले कुछ परीक्षार्थियों की निगाह फेसबुक पर आए एक पोस्ट पर चली गई. इस फेसबुक पोस्ट पर एसएससी परीक्षा से जुड़े सात प्रश्न पत्र मौजूद थे. फेसबुक पोस्ट में दावा किया गया था कि 21 फरवरी की सुबह 10:30 बजे से होने वाली एसएससी की परीक्षा के प्रश्न पत्र हैं.
फेसबुक पोस्ट से खुला रहस्य
फेसबुक पोस्ट को देखकर एकबारगी किसी को भरोसा नहीं हुआ. उन्हें लगा फेसबुक पर कोई मसखरी कर रहा है. परीक्षा केंद्र में जब इन परीक्षार्थियों के सामने प्रश्न पत्र आया तो उनके पैरों तले जमीन खिसक गई. उन्होंने पाया कि सोशल मीडिया में वायरल प्रश्न पत्र में जो प्रश्न मौजूद थे, वहीं प्रश्न उनके कंप्यूटर स्क्रीन के सामने हैं. फर्क सिर्फ इतना था कि सभी प्रश्नों के क्रम बदले हुए थे. चंद मिनटों में यह बात आग की तरफ पूरे देश में फैलना शुरू हो गई. खुद को ठगा महसूस कर रहे परीक्षार्थियों को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें?
कुछ छात्रों ने इसकी शिकायत स्टाफ सर्विस कमीशन को दी तो कुछ ने पुलिस का दरवाजा खटखटाया. लेकिन प्रारंभिक तौर पर नतीजा सिफर ही रहा. हर चौखट से नाकामी मिलता देख इन परीक्षार्थियों ने खुद मोर्चा संभालने का फैसला किया. चंद मुट्ठी भर परीक्षार्थियों ने लोधी रोड के सीजीओ कॉप्लेक्स स्थिति एसएससी हेडक्वाटर के बाहर अपना विरोध प्रदर्शन शुरू किया. हर दिन इस विरोध प्रदर्शन में सैकड़ों परीक्षार्थी जुटते चले गए. देखते ही देखते हजारों परीक्षार्थियों अपना विरोध दर्ज कराने सीजीओ कॉप्लेक्स के बाहर पहुंचने लगे. परीक्षार्थियों का यह प्रयास रंग लाया. एसएससी की किरकिरी बढ़ती देख सरकार और विपक्ष इन परीक्षार्थियों के पक्ष में दिखने लगे. आखिर में 14 मार्च को केंद्र सरकार ने इस मामले की सीबीआई जांच कराने के आदेश जारी कर दिए.
परीक्षा शुरू होने से 20 मिनट पहले लीक हुआ पेपर
सीबीआई के अनुसार एसएससी की सीजीएल टियर-2 की परीक्षा 17 फरवरी 2018 से 22 फरवरी 2018 के बीच दो बैच में होनी थी. पहले बैच की परीक्षा का समय सुबह 10:30 बजे और दूसरे बैच की परीक्षा का समय दोपहर 2:30 बजे से था. 21 फरवरी 2018 को परीक्षा के लिए चेन्नई स्थित सिफी टेक्नोलॉजी के हेडक्वाटर ने मुंबई स्थिति डाटा सेंटर से सुबह 9:30 बजे से सुबह 10:00 बजे के बीच सभी प्रश्न पत्रों को सभी परीक्षा सेंटर के सिस्टम में अपलोड कर दिया. सुबह करीब 10:00 बजे सेंट्रल हेल्पडेक्स टीम ने सभी वेन्यू साइट सुपरवाइजर को क्विश्चन पैक (क्यूपी) एक्टीवेशन पॉसवर्ड उपलब्ध करा दिया. इसके बाद साइट सुपरवाइजर ने यह पासवर्ड सभी एग्जामिनेशन कंट्रोलर को भेज दिया. इसी बीच सुबह करीब 10:10 बजे फेसबुक के SSCTUBE पेज पर 7 प्रश्न पत्र वायरल हो गए, जबकि इन प्रश्नपत्रों को सुबह 10:30 बजे अनलॉक होना था.
ऐसी हुई आरोपी परीक्षार्थियों की परेशानी
सीबीआई के अनुसार नकल को रोकने के लिए एक विशेष साफ्टवेयर का इस्तेमाल किया जाता था. यह सॉफ्टवेयर परीक्षा में पूछे गए प्रश्नों के क्रम को बदल देता था. जिसके चलते हर परीक्षार्थी को कंप्यूटर सेट पर प्रश्नपत्रों का अलग-अलग सेट मिलता था. जांच के दौरान यही सॉफ्टवेयर सीबीआई के लिए पहला मददगार बना. इस सॉफ्टवेयर के जरिए सीबीआई को पता चला कि जो प्रश्न पत्र सोशल मीडिया में वायरल हुए थे, वह किन परीक्षार्थियों को दिया गया था. जांच में पता चला कि यह प्रश्न पत्र सचिन चौहान, शंभु कुमार, धीरज, दीपक राणा, सोनम, अनूप और सुमन नामक परीक्षार्थियों को परीक्षा के लिए दिए गए थे. जांच में पता चला कि इन्हीं 7 परीक्षार्थियों को दिए गए प्रश्न पत्रों का स्क्रीन शॉट लेकर सोशल नेटवर्किंग साइट में डाला गया था.
रिमोट सॉफ्टवेयर से जुड़े थे सातों परीक्षार्थियों के कंप्यूटर
पड़ताल के दौरान सीबीआई को स्क्रीन-शॉट से एक रिमोट एक्सेस सॉफ्टवेयर का सुराग मिला. जांच में पता चला कि सातों छात्रों के कंप्यूटर में एक रिमोट एक्सेस सॉफ्टवेयर मौजूदा था, जिसकी मदद से परीक्षा केंद्र के बाहर बैठा कोई शख्स परीक्षार्थियों की प्रश्न पत्र हल करने में मदद कर रहा था. सीबीआई के अनुसार, परीक्षा आयोजित कराने वाली कंपनी सिफी टेक्नोलॉजी की जिम्मेदारी थी कि परीक्षा केंद्र में लगे किसी भी कंप्यूटर में कोई भी ऐसा सॉफ्टवेयर नहीं होना चाहिए, जो परीक्षार्थियों को नकल करने में मदद कर सके. इस सॉफ्टवेयर के सामने आने के बाद सीबीआई के जांच दल को पूरे षडयंत्र में सिफी टेक्नोलॉजी द्वारा तैनात किए गए सेंटर हेड की मिलीभगत का सबूत मिल गया.
2016 में शुरू हुई थी SSC के online Exams
सीबीआई जांच में पता चला कि 2016 से पहले स्टाफ सेलेक्शन कमीशन (एसएससी) की कंबाइंड ग्रेजुएट लेबल (सीजीएल) परीक्षा ऑप्टिकल मार्क्स रीडर (ओएमआर) पद्धति से ली जाती थी. एसएससी ने 2016 को सीजीएल परीक्षा को ऑन लाइन कर दिया. ऑन लाइन परीक्षा के लिए एसएससी ने 12 अप्रैल 2016 को मेसर्स सिफी टेक्नोलॉजी लिमिटेड नामक कंपनी के साथ समझौता किया. समझौते के तहत प्रश्न पत्र तैयार करने से लेकर सेंटर का चुनाव और परीक्षा आयोजित करने की पूरी जिम्मेदारी सिफी टेक्नोलॉजी को सौंप दी गई.
क्या थी सिफी टेक्नोलॉजी की जिम्मेदारियां
सीबीआई के अनुसार समझौते के तहत एसएससी ने सिफी टेक्नोलॉजी प्रमुख तौर पर 8 जिम्मेदारियां सौंपी थीं. इसमें पहली जिम्मेदारी देश के विभिन्न शहरों में परीक्षा सेंटर को खोजना और उन्हें परीक्षा के लिए तैयार करना था. दूसरी जिम्मेदारी एसएससी की गाइडलाइन के अनरूप पर्याप्त संख्या में प्रश्न पत्रों के सेट तैयार करना था.
तीसरी जिम्मेदारी सभी परीक्षार्थियों का रजिस्ट्रेशन कराना, उनके बायोमैट्रिक लेना था. समझौते के अनुसार सिफी टेक्नोलॉजी को परीक्षा आयोजित कर सभी परीक्षा लैब की सीसीटीवी रिकार्डिंग एसएससी को उपलब्ध कराना था. इसके अलावा, एसएससी ने प्रश्न पत्रों की लीकेज रोकने की पूरी जिम्मेदारी सिफी टेक्नोलॉजी को सौंप थी. परीक्षा से पहले सिफी टेक्नोलॉजी को सुनिश्चित करना होता था कि किसी भी कंप्यूटर में ब्राउसिंग, चैटिंग सहित अन्य फग्शन कीज को ब्लॉक कर कॉपी-पेस्ट के ऑप्शन को बंद कर दिया गया है.
परीक्षा से 5 दिन पहले सेंटर को अपने कब्जे में लेती थी सिफी
सीबीआई के अनुसार परीक्षा से पांच दिन पहले सिफी टेक्नोलॉजी परीक्षा केंद्रों को अपने कब्जे में ले लेती थी. इन पांच दिनों के दौरान सिफी टेक्नोलॉजी सभी परीक्षा केंद्रों में आवश्यक कंप्यूटर के इंस्टालेशन के अलावा सीसीटीवी कैमरों को लगाने का काम पूरा करती थी. इसके अलावा, माइक्रोसॉफ्ट मैलिक्यूअस सॉफ्टवेयर रिमूवल टूल के जरिए सभी कंप्यूटर की जांच कर उसमें मौजूद अनावश्यक सॉफ्टवेयर को अनस्टॉल किया जाता था. वहीं इन्हीं पांच दिनों के दौरान परीक्षा लेने वाले सभी स्टाफ की ब्रीफिंग के साथ उन्हें प्रशिक्षण भी दिया जाता था.