Be prepared for the horrific power crisis in the midst of the tremendous heat!
गर्मी में तापमान बढ़ने के साथ बिजली का भीषण संकट खड़ा गया है. इस बीच, यह भी खबर है कि करीब आधा दर्जन से अधिक प्राइवेट बिजली घर में उत्पादन ठप है. क्योंकि उन्हें कोयला और गैस नहीं मिल पा रही है. इनमें निजी क्षेत्र के बड़े बिजलीघर -अडानी पावर, एस्सार पावर, जीएमआर एनर्जी, जीवीके पॉवर एंड इंफ्रास्ट्रक्चर, लार्सन एंड टुब्रो और जय प्रकाश एसोसिएट्स बिजली घर शामिल हैं. गुरुवार तक इकट्ठा आंकड़ों के मुताबिक कोयला न मिलने के कारण करीब 9000 मेगावाट या 9 गीगा वाट बिजली का उत्पादन ठप पड़ा है.
इसके अलावा करीब 3500 मेगावाट बिजली उत्पादन वाले बिजली घर गैस न मिलने के कारण बंद पड़े हैं. कोयले से चलने वाले बिजली घरों को कोलफील्ड से कोयला नहीं मिल पा रहा है. सरकार ने मई में निर्देश दिया था कि सरकारी बिजली घरों को कोयले की सप्लाई अधिक से अधिक की जाए. इस कारण भी प्राइवेट बिजली घर बंद पड़े हैं. वे कोयले के लिए सरकारी तंत्र पर ही निर्भर हैं. सरकारी आंकड़ों की मानें तो 92 नॉन पोर्टेड और 14 पोर्टेड बिजली घरों के पास मात्र 5 दिन का कोयला स्टॉक है. वहीं 8 बिजली घरों के पास 6 दिन का कोयला है. ऐसी स्थिति में बिजली संकट बढ़ने का अंदेशा है.
प्राइवेट बिजली घरों के पास कोयला खत्म
ज्यादातर थर्मल पॉवर प्लांट में सभी बंद नहीं हैं. उनकी कुछ यूनिट ठप पड़ी है. मसलन जयप्रकाश एसोसिएट्स के प्रयागराज थर्मल पॉवर प्लांट की यूनिट 3, जहां से 600 मेगावाट बिजली का उत्पादन होता है, कोयला न मिलने से ठप है. इसी प्रकार अडानी पॉवर का मुंडरा थर्मल पॉवर स्टेशन के पास भी कोयला नहीं है. इससे इसकी 5 इकाई ठप पड़ी है, जिससे करीब 2310 मेगावाट बिजली का उत्पादन होता है. अडानी के तिरोरा प्लांट की यूनिट 5 भी बंद है. यहां से 660 मेगावाट बिजली बनती है. एस्सार के सलाया पॉवर प्लांट का भी हाल बुरा है. यहां 1200 मेगावाट बिजली बनती है. लार्सन एंड टुब्रो नाभा पॉवर का राजपुरा थर्मल पॉवर प्लांट भी बंद है. यहां 700 मेगावाट बिजली बनती है. जीवीके और जीएमआर के आंध्र प्रदेश स्थित प्लांट की भी यही स्थिति है.
दो सरकारी बिजली घरों पर भी आया संकट
मध्य प्रदेश पॉवर जनरेशन कंपनी का सतपुरा थर्मल पॉवर स्टेशन कोयला न मिलने से ठप पड़ा है. वहीं महाराष्ट्र का चंद्रपुर और तमिलनाडु का कोविल कलप्पल में भी उत्पादन रुका पड़ा है. ईवाई के पार्टनर व उद्योग नेता कुलजीत सिंह का कहना है कि ओडिशा में कुछ कोयला खदान बंद पड़ी हैं. इसका कारण पैसे की किल्लत और सप्लाई में कमी है. हालांकि सरकार अपने स्तर पर फौरी उपाय कर रही है लेकिन बिजली की बढ़ती मांग के आगे वे खोखले साबित हो रहे हैं. उसने 6 से 12 माह के लिए कोयले का इंतजाम करने का उपाय किया है.