Thursday, May 8, 2025
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भारत रत्न से सम्मानित एवं UP के प्रथम मुख्यमंत्री पं. गोविंद वल्लभ पंत जी की मनाई गयी जयंती

SI News Today

Bharat Ratna honored and the first Chief Minister of UP, celebrated birth anniversary of P. Govind Vallabh Pant ji.

      

भारत रत्न से सम्मानित पं. गोविंद वल्लभ पंत जी की 131वीं जयंती को गौरव दिवस के रुप में मनाया गया। आपको बता दें कि पं. गोविंद वल्लभ पंत जी का जन्म 10 सितम्बर 1887 को अल्मोड़ा जिले के श्यामली पर्वतीय क्षेत्र में स्थित खूंट गाँव में महाराष्ट्रीय मूल के एक कऱ्हाड़े ब्राह्मण कुटुंब में हुआ था। इनकी माँ का नाम गोविन्दी बाई व पिता का नाम मनोरथ पन्त था। बचपन में ही पिता की मृत्यु हो जाने के चलते उनकी परवरिश उनके दादा बद्री दत्त जोशी ने की।

दरअसल 1905 में पंत अल्मोड़ा छोड़कर इलाहाबाद आ गये। म्योर सेन्ट्रल कॉलेज में पंत गणित, साहित्य और राजनीति विषयों के सबसे तेज विद्यार्थी थे। इतना ही नही अध्ययन के साथ ही वह कांग्रेस के स्वयंसेवक का भी कार्य करते थे। और 1907 में बी०ए० व 1909 में कानून की डिग्री सर्वोच्च अंकों के साथ हासिल करने के उपलक्ष्य में उन्हें कॉलेज की ओर से लैम्सडेन अवार्ड दिया गया। जिसके पश्चात 1990 में उन्होंने अल्मोड़ा आकर वकालत शुरू कर दी और उसी के सिलसिले में वे पहले रानीखेत गये फिर काशीपुर में जाकर प्रेम सभा नाम से एक संस्था का गठन किया जिसका उद्देश्य शिक्षा और साहित्य के प्रति जनता को जागरुक करना था। इस संस्था का कार्य इतना ज्यादा बड़ा था कि ब्रिटिश स्कूलों ने काशीपुर से अपना बोरिया बिस्तर बाँधने में ही अपनी भलाई समझी।

सन 1921 में दिसंबर माह में पंत ने गान्धी जी के आह्वान पर असहयोग आन्दोलन के जरिये राजनीति में आये। 9 अगस्त 1925 को काकोरी काण्ड करके यूपी के कुछ नवयुवकों ने सरकारी खजाना लूटा तो उनके मुकदमें की पैरवी के लिये अन्य वकीलों के साथ पन्त जी ने भी जी-जान से सहयोग किया। हलांकि उस समय पंत जी नैनीताल से स्वराज पार्टी के टिकट पर लेजिस्लेटिव कौन्सिल के सदस्य भी थे। वहीं 1927 में राम प्रसाद बिस्मिल व उनके तीन अन्य साथियों को फाँसी के फन्दे से बचाने के लिये उन्होंने पण्डित मदन मोहन मालवीय के साथ वायसराय को पत्र लिखा पर गान्धी जी का समर्थन न मिलने से वह मिशन अधूरा रह गया। 1928 के साइमन कमीशन के बहिष्कार व 1930 के नमक सत्याग्रह में भी भाग लेकर देहरादून जेल की हवा खाने वाले पंत जी को सरदार पटेल की मृत्यु के पश्चात उन्हें गृह मंत्रालय व  भारत सरकार के प्रमुख का दायित्व सौंपा गया।

आपको बता दे कि प्रसिद्ध स्वतन्त्रता सेनानी व वरिष्ठ भारतीय राजनेता पं गोविंद वल्लभ पंत उत्तर प्रदेश राज्य के प्रथम मुख्य मन्त्री और भारत के चौथे गृहमंत्री थे। भारत के रूप में पन्त जी का कार्यकाल 1955-1969 तक रहा। 7 मई 1969 को हृदयाघात जैसी बीमारी से लड़ते हुए पंत जी ने अपना देह त्याग कर दिया।

वहीं जहां एक तरफ पं. गोविंद वल्लभ पंत जी की 131वीं जयंती पर केशव प्रसाद मौर्या ने पंत जी की जयंती पर उन्हें माल्यार्पण कर नमन किया । तो वहीं दूसरी ओर केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने भी दिल्ली में इस अवसर पर माल्विंयार्दपण कर नमन किया।  बल्लभ पंत इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी घुड़दौड़ी में स्थापित उनकी मूर्ति पर भी माल्यार्पण कर उन्हें नमन किया। केवल डीएम कार्यालय में आयोजित कार्यक्रम में स्थानीय स्कूलों के छात्र-छात्राओं, शिक्षक-शिक्षिकाओं, ने ही हिस्सा नही लिया बल्कि इस अवसर पर सीडीओ दीप्ति सिंह ने पंत जी के चित्र पर माल्यार्पण भी किया।

गौरतलब है कि सीडीओ ने उनके जीवन दर्शन को अपनाने की कहते हुए पंडित जी के कुली-बेगार, जमींदारी उन्मूलन प्रथा के संबंध में चलाए गए आंदोलनों पर भी अपने विचार रखे।वहीं, जीबीपंत इंस्टीट्यूट में परियोजना निदेशक एसएस शर्मा, प्रभार प्राचार्य प्रो.आशीष नेगी, रजिस्ट्रार डा. एचएस भदौरिया ने उनकी मूर्ति पर माल्यार्पण कर उन्हें नमन किया।

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