Saturday, December 14, 2024
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मोदी सरकार का ब्यूरोक्रेसी में बड़ा बदलाव! जानिए रिपोर्ट…

SI News Today
Big change in Modi government's bureaucracy! Know report ...

केंद्र सरकार की ओर से 10 मंत्रालयों में ज्वॉइंट सेक्रेटरी के लिए वैकेंसी निकाल गई है, जिसे लेकर कांग्रेस ने सवाल खड़े कर दिए हैं. दरअसल, सरकार ने ब्यूरोक्रेसी में लैटरल एंट्री की शुरुआत कर दी है, यानी, ब्यूरोक्रेसी का हिस्सा बनने के लिए UPSC की परीक्षा पास करने की अनिवार्यता नहीं होगी. प्राइवेट कंपनियों में काम करने वाले कर्मचारी भी मंत्रालयों में ज्वाइंट सेक्रेटरी बन सकते हैं. सरकार की ओर से तर्क दिया गया है कि इससे मंत्रालय देश के ज्यादा अनुभवी लोगों का लाभ ले पाएगा.

विज्ञापन के मुताबिक लैटरल एंट्री के तहत होने वाली ज्वाइंट सेक्रेटरी का कार्यकाल तीन साल का होगा, अगर कामकाज संतोषजनक रहता है तो उनके कार्यकाल को पांच साल तक बढ़ाया जा सकेगा. प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने पूरे मामले पर कहा कि यह सरकार की अच्छी पहल है. साथ ही स्पष्ट है कि हम सबसे योग्य लोगों को मंत्रालय में लाना चाहते हैं. वहीं कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा, ‘ऐसे नहीं होता है, फैसला ले लिया और सुबह में पेपर में विज्ञापन दे दिया. इनको सरकार चलाना नहीं आता है.’

निजी क्षेत्रों से सरकार में अफसर बनाने के लिए अधिसूचना जारी की गई. 30 जुलाई तक आवेदन तक मांगे गए 15 साल का अनुभव आवेदन के लिए जरूरी. 30 जुलाई तक भेजें आवेदन, नियुक्त होने वाले जॉइंट सेक्रटरीज का कार्यकाल 3 से 5 साल का होगा.

डीओपीटी की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया है कि ज्वॉइंट सेक्रेटरी बनने के लिए न्यूनतम उम्र 40 साल होना चाहिए. हालांकि अधिकतम उम्र की सीमा तय नहीं की गई है. कार्यकाल तीन साल का होगा, लेकिन कामकाज संतोषजनक रहने वाले कार्यकाल पांच साल तक बढ़ाया जा सकता है. प्राइवेट नौकरी से सीधे इस पद पर नियुक्त होने वाले लोगों को ज्वॅाइंट सेक्रेटरी वाली सारी सुविधाएं और वेतन मिलेंगे.

3 साल का होगा टर्म, प्राइवेट कंपनी में काम करने वालों को भी मौका
डीओपीटी की ओर से जारी अधिसूचना के अनुसार मंत्रालयों में जॉइंट सेक्रटरी के पद पर नियुक्ति होगी. इनका टर्म 3 साल का होगा और अगर अच्छा प्रदर्शन हुआ तो 5 साल तक के लिए इनकी नियुक्ति की जा सकती है. इन पदों पर आवेदन के लिए अधिकतम उम्र की सीमा तय नहीं की गई है जबकि न्यूनतम उम्र 40 साल है. इनका वेतन केंद्र सरकार के अंतर्गत जॉइंट सेक्रटरी वाला होगा. सारी सुविधा उसी अनुरूप ही मिलेगी. इन्हें सर्विस रूल की तरह काम करना होगा और दूसरी सुविधाएं भी उसी अनुरूप मिलेंगी. मालूम हो कि किसी मंत्रालय या विभाग में जॉइंट सेक्रटरी का पद काफी अहम होता है और तमाम बड़े नीतियों को अंतिम रूप देने में या उसके अमल में इनका अहम योगदान होता है. इनके चयन के लिए बस इंटरव्यू होगा और कैबिनेट सेक्रटरी के नेतृत्व में बनने वाली कमिटी इनका इंटरव्यू लेगी. योग्यता के अनुसार सामान्य ग्रेजुएट और किसी सरकारी, पब्लिक सेक्टर यूनिट, यूनिवर्सिटी के अलावा किसी प्राइवेट कंपनी में 15 साल काम का अनुभव रखने वाले भी इन पदों के लिए आवेदन दे सकते हैं. आवेदन में योग्यता इस तरह तय की गई है कि उस हिसाब से कहीं भी 15 साल का अनुभव रखने वालों के सरकार के टॉप ब्यूरोक्रेसी में डायरेक्ट एंट्री का रास्ता खुल गया है. आवेदन देने की अंतिम तारीख 30 जुलाई है.

10 मंत्रालयों में होगी ‘विशेषज्ञ’ की नियुक्ति
शुरुआती पहल के अनुसार अभी सरकार 10 मंत्रालयों में एक्सपर्ट जॉइंट सेक्रटरी को नियुक्त करेगी. ये 10 मंत्रालय और विभाग हैं- फाइनैंस सर्विस, इकनॉमिक अफेयर्स, ऐग्रिकल्चर, रोड ट्रांसपोर्ट, शिपिंग, पर्यावरण, रिन्यूअबल एनर्जी, सिविल एविएशन और कॉमर्स. इन मंत्रालयों और विभागों में नियुक्ति कर विशेषज्ञता के हिसाब से ही पोस्टिंग होगी.

सालों से लंबित था प्रस्ताव, अब हुआ लागू
ब्यूरोक्रेसी में लैटरल ऐंट्री का पहला प्रस्ताव 2005 में ही आया था, जब प्रशासनिक सुधार पर पहली रिपोर्ट आई थी. लेकिन तब इसे सिरे से खारिज कर दिया गया. फिर 2010 में दूसरी प्रशासनिक सुधार रिपोर्ट में भी इसकी अनुशंसा की गई. लेकिन पहली गंभीर पहल 2014 में मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद हुई. पीएम मोदी ने 2016 में इसकी संभावना तलाशने के लिए एक कमिटी बनाई, जिसने अपनी रिपोर्ट में इस प्रस्ताव पर आगे बढ़ने की अनुशंसा की. सूत्रों के अनुसार ब्यूरोक्रेसी के अंदर इस प्रस्ताव पर विरोध और आशंका दोनों रही थी, जिस कारण इसे लागू करने में इतनी देरी हुई. अंतत: पीएम मोदी के हस्तक्षेप के बाद मूल प्रस्ताव में आंशिक बदलाव कर इसे लागू कर दिया गया. हालांकि पहले प्रस्ताव के अनुसार सेक्रटरी स्तर के पद पर भी लैटरल ऐंट्री की अनुशंसा की गई थी लेकिन सीनियर ब्यूरोक्रेसी के विरोध के कारण अभी जॉइंट सेक्रटरी के पद पर ही इसकी पहल की गई है. सरकार का मानना है कि लैटरल एंट्री आईएएस अधिकारियों की कमी को पूरा करने का भी प्रभावी जरिया बनेगा.

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