बिहार की राजनीति अभी बंद और बयानों के इर्द गिर्द घूम रही है. एक तरफ लालू बंद, बालू बंद, दारू बंद, किरासन बंद, दहेज बंद, बाल विवाह बंद पर ‘जीवंत’ चर्चा चल रही है. दूसरी तरफ केंद्रीय राज्य मंत्री गिरिराज सिंह, अश्वनी कुमार चौबे और उनके बेटे के ‘भड़काऊ’ बयान पर उठापटक जारी है. वैसे बंद के मामले में हकीकत ये है कि लालू प्रसाद यादव को छोड़कर बाकी सब कुछ थोक के भाव में चलता है. इस बेरहम सच्चाई को उनके अफसर बोलने से कतराते हैं. लेकिन दमदार और दिलदार मुलाजिम शायराना अंदाज में यह कहने से हिचकते नहीं है कि ‘सच्चाई छिप नहीं सकती बनावट के उसूलों से और खुशबू आ नहीं सकती कभी कागज के फूलों से’
बहरहाल, जनता की ‘रहनुमाई’ करने वाले विधायक भी कबतक बर्दाश्त करते? दो दिन पहले यानी शुक्रवार को जेडीयू विधायक दल की बैठक में लगभग एक दर्जन विधायकों ने हिम्मत बटोरकर सीएम से निवेदन किया कि ‘केंद्रीय राज्य मंत्री गिरिराज सिंह और अश्वनी कुमार चौबे की बयानबाजी बंद होनी चाहिए. साथ ही कुछ चीजों की बंदी पर दोबारा विचार करने की जरूरत है. अगर आपने ऐसा नहीं किया तो अगले चुनाव में मुश्किल हो जाएगी. एक विधायक ने तो नीतीश कुमार से यहां तक कह दिया कि ‘कई तरह की चीजों पर थोपा गया आपका बंदी फरमान और विपक्ष ने नेता तेजस्वी यादव को हीरो बनाने में मदद कर रहा है.’
एक एमएलए ने सीएम से कहा, ‘सर, दिल्ली वाला ई दूनो दाढ़ी प्रेमी नेता बिहार में दंगा करा कर ही दम लेगा. कोई जुगाड़ लगाकर हालात पर काबू में किया जाए. ऐसा पहली बार हुआ है कि नीतीश कुमार के साथ इतने विधायकों ने मन की बात शेयर की है. सीएम ने इन विधायकों की न सिर्फ बातें सुनी बल्कि उसपर ठोस एक्शन लेने का आश्वासन भी दिया. कहते हैं कि सीएम ने संकेत दिया है कि ऐसे बाणों का प्रयोग किया जाएगा कि सांप भी मर जाए और लाठी भी ना टूटे.
खबर के मुताबिक नीतीश कुमार ने विधायकों को सलाह दी है कि वे लोग गिरिराज सिंह और अश्वनी कुमार चौबे जैसे नेताओं के बयानों को गंभीरता से न लें. इनको इग्नोर करें. एक विधायक ने बताया कि सीएम ने जोर देकर कहा कि बिहार बीजेपी के नेता सुशील कुमार मोदी हमलोगों के साथ हैं दरअसल, जेडीयू के कई नेताओं ने फील किया है कि हाल में हुए अररिया लोकसभा और जहानाबाद विधानसभा में हार के पीछे ‘बंद’ के फैसले ने अहम भूमिका निभाई है.
बिहार में दारूबंदी के कारण अवैध शराब बिक्री का धंधा पहले ही चरम पर है. भगवान और देवी देवता के कोडनेम पर होम डिलीवरी जोरों पर है. पुलिस ने करीब सवा लाख लोगों को शराब तस्करी के केस में जेलों में बंद कर दिया है. तीन लाख से ज्यादा लोगों पर मुकदमा ठोका गया है. इनमें 95 फीसदी दलित और अति पिछड़े वर्ग के लोग हैं जो जेडीयू के हार्डकोर वोटर्स माने जाते रहे हैं.
बालू पर लालू को साधने का एजेंडा भी काम नहीं आया. सरकार की बालू खनन बंदी नीति ने करीब 6 महीनों तक लाखों मजदूरों और हजारों मकान बनाने वालों को दिन में तारे दिखा दिए हैं. जबकि अवैध खनन वालों की चांदी काटने पर बिहार पुलिस रोक नहीं लगा पाई है.
जरूरतमंदों को मजबूरी में बहुत मंहगे रेट पर बालू खरीदना पड़ा. सरकार ने बालू खनन तो चालू करवा दिया है. लेकिन लोगों का आक्रोश अभी कम नहीं हुआ है. पिछले साल इसी महीने में एक ट्रॉली बालू की कीमत 2800 रुपए थी जो 5000 रुपए हो गई है. इससे काफी नारजगी है.
गांव-गांव में बिजली पहुंचा देने के नाम पर सरकार ने किरासन सप्लाई में भारी कटौती कर दी है जिससे गरीबों और मध्यम वर्ग में अच्छा मेसेज नहीं गया है. इधर केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह और अश्वनी कुमार चौबे अपनी बयानबाजी से नीतीश कुमार सरकार की परेशानी बढ़ाने का काम कर रहे हैं.
नवादा के लोग दीवार पर पोस्टर चिपकाकर अपने सांसद की गुमशुदगी का इजहार कर रहे हैं. जबकि सांसद और केंद्रीय मंत्री दरभंगा में जुलुस का नेतृत्व करते हुए और भीड़ को उकसाते डिजीटल मीडिया में दिख रहे हैं- ‘डीएसपी मुर्दाबाद का नारा लगाओ. जैसे-जैसे लोकसभा चुनाव नजदीक आ रहा है गिरिराज सिंह को बिहार में भारत माता पर खतरा नजर आ रहा है. ‘माता को बचाने के लिए मैं पद भी त्याग दूंगा’- ये उनका ताजा बयान है.
भागलपुर पुलिस ने केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्वनी कुमार चौबे के बेटे अर्जित शाश्वत को दंगा भड़काने का आरोपी बनाया है और उनके खिलाफ स्थानीय कोर्ट ने वारंट भी इश्यू कर दिया है. लेकिन बाप और बेटा दोनों अपने-अपने हिसाब से कानून को ठेंगा दिखाने पर आमदा हैंबहरहाल, दोनों बयान बहादुरों के तेवर नरम पड़े हैं. शायद वे लोग समझ गए हैं कि सीएम नीतीश कुमार किसी भी सूरत मे दंगा का माहौल बर्दास्त नहीं कर सकते हैं. इस सवाल पर डिप्टी सुशील कुमार मोदी भी उनके साथ हैं