Thursday, December 12, 2024
featuredदेश

व्हाट्सऐप पर चाइल्ड पोर्नोग्राफी फैलाने वाले सबसे ज्यादा भारत में- CBI का खुलासा

SI News Today

चाइल्ड पोर्नोग्राफी रैकेट मामले में सीबीआई ने चौंकाने वाला खुलासा किया है. सीबीआई के मुताबिक, यह सब एक वॉट्सऐप ग्रुप के जरिए चल रहा है. 40 देशों में इस ग्रुप के करीब 119 सदस्य हैं. इनमें सबसे ज्यादा सदस्य भारत में सक्रिय हैं. इसके बाद पाकिस्तान और अमेरिका का नंबर है. सीबीआई ने इस मामले में इलेक्ट्रोनिक गैजेट का फॉरेंसिक एग्जामिशन भी कराया है. तिरुवंनतपुरम में की गई जांच में यह खुलासा हुआ है.

भारत में हर सेकंड 380 लोग खोज रहे हैं एडल्ट कंटेंट
चाइल्ड पोर्नोग्राफी के मामले में भारत सबसे बड़े कंज्यूमर और डिस्ट्रिब्यूटर्स बन रहा है. यह बढ़ोतरी उस हालात में है जब देश में इंटरनेट पर इस तरह के मैटेरियल पर लगाम लगाने की कोशिश की जा रही है.

हर 40 मिनट में बन रहा है ऐसा वीडियो
साइबर एक्सपर्ट्स के मुताबिक, देश में हर 40 मिनट में एक गंदा वीडियो बनाया जाता है. इस तरह के कंटेंट को इंटरनेट पर अपलोड करने के मामले में केरल लिस्ट में टॉप पर है. वहीं, हरियाणा में मोबाइल पर सबसे ज्यादा इस तरह के कंटेंट देखे जाते हैं. चिंता की बात यह है कि इस तरह के जितने पोर्न वीडियो अपलोड किए जाते हैं, उनमें बच्चों और किशोरों के ज्यादा हैं.

टॉप सर्च में चाइल्ड पोर्नोग्राफी के कीवर्ड्स
यही कारण है कि schoolgirls, teens और desi girls जैसे टॉप सर्च कीवर्ड्स हैं. इन सबसे चाइल्ड सेक्सुअल एब्यूज मैटेरियल (CSAM) को बढ़ावा मिल रहा है. साइबर सिक्युरिटी एक्सपर्स्ट के एनालिसिस के मुताबिक, देश में 35-40 प्रतिशत कंटेंट रोजाना डाउनलोड किया जाता है, जो हजारों टेराबाइट्स में होगी.

क्या कहते हैं साइबर एक्सपर्ट
इंडियन साइबर सिक्युरिटी साइबर आर्मी (ICA) के डायरेक्टर किसल्य चौधरी के मुताबिक, चाइल्ड पोर्नोग्राफी के कंटेंट और वीडियो के कस्टमर्स तेजी से बढ़ रहे हैं. इसे लेकर कोई स्पष्ट आंकड़ा नहीं है लेकिन हमारे शोध में पता चला है कि प्रति दिन सर्च इंजन पर 1,16,000 सवाल आते हैं, ये सब चाइल्ड पोर्नोग्राफी को लेकर होते हैं. इस तरह के सर्च के आंकड़े ऐसे हैं कि आप इन्हें प्रति सेकंड में भी अनुमान लगा सकते हैं. इस हिसाब से प्रति सेकंड में सर्च इंजन पर 380 लोग एडल्ट कंटेंट की तलाश कर रहे हैं.

छोटे शहरों में ज्यादा शूट होते हैं ऐसे कंटेंट
हाल के दिनों के ट्रेन्ड को देखते हुए कहा जा रहा है कि छोटे शहर (2,3 और 4 टायर की सिटीज) में ऐसे एडल्ट कंटेंट ज्यादा शूट किए जा रहे हैं. इन्हें मोबाइल से शूट किया जा रहा है और यहीं से ये डिस्ट्रीब्यूट हो रहे हैं. बैकग्राउंड-ग्रामीण इलाकों के बच्चे सॉफ्ट टारगेट्स हैं लेकिन सबसे ज्यादा संख्या शहरी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की है जो इसमें फंस जा रहे हैं.

क्या कहता है कानून?
वरिष्ठ वकील और आई टी एक्सपर्ट पवन दुग्गल ने इंडिया टुडे को दिए एक इंटरव्यू में कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट निर्देश के बावजूद CSAM के कंटेंट तेजी से बढ़ रहे हैं. आईटी एक्ट के तहत इस तरह के कंटेंट देखने या शेयरिंग करने को लेकर सख्त सजा का प्रावधान है, लेकिन कानून को लागू करने में ढिलाई हो रही है. सरकार का जोर वेबसाइट्स को ब्लॉक करने को लेकर है लेकिन, कंटेंट के सोर्स को नहीं देखा जा रहा है.

SI News Today

Leave a Reply