Companies will get environmental clearance only after payment of fine!
पर्यावरण मंत्रालय ने कहा है कि केंद्र अवैध खनन परियोजनाओं को नियमित करने के लिए पर्यावरण मंजूरी देगा लेकिन यह इस शर्त पर निर्भर करेगा कि कंपनियां सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित जुर्माने का भुगतान करें.
शीर्ष अदालत ने दो अगस्त 2017 के आदेश में कहा था कि ओडिशा में खनन कंपनियां बिना पर्यावरण मंजूरी के काम कर रही हैं और उन्हें राज्य को 100 प्रतिशत जुर्माना देना होगा. ताजा दिशानिर्देश में मंत्रालय ने उन खनन कंपनियों के लिए अतिरिक्त शर्त रखा है जिन्होंने अवैध कामकाज को लेकर पर्यावरण मंजूरी के लिए आवेदन किए हैं.
सबसे पहले , खनन कंपनियों को शीर्ष अदालत के आदेश का अनुपालन और भविष्य में दोबारा से नियमों का उल्लंघन नहीं करने को लेकर हलफनामा देने होंगे. दूसरा, अगर नियमों का उल्लंघन होता है, पर्यावरण मंजूरी समाप्त कर दी जाएगी. तीसरा, जबतक कंपनियां सभी सांविधिक जरूरतों तथा सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अनुपालन नहीं करती तब तक पर्यावरण मंजूरी अमल में नहीं आएगी.
अंतिम, मंत्रालय ने कहा कि संबंधित राज्य सरकारों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि खनन गतिविधियां तबतक शुरू नहीं हो जबतक परियोजना का क्रियान्वयन करने वाला सुप्रीम कोर्ट के आदेश के साथ निर्धारित मुआवजे का भुगतान नहीं करता.
आधिकारिक आंकड़े के अनुसार खनिज बहुलता वाले राज्यों में वित्त वर्ष 2016-17 में सितंबर तक 42,334 मामले दर्ज किए गए. इससे सर्वाधिक 10,797 मामले महाराष्ट्र में दर्ज किए गए. पूरे वित्त वर्ष 2016-17 में 96,233 मामले दर्ज किए गए.