CPM: Modi government wants to make the education sector marketable …
सीपीएम पोलित ब्यूरो ने यूजीसी की जगह उच्च शिक्षा आयोग के गठन को व्यर्थ की कवायद बताते हुए कहा कि सरकार आनन-फानन में इस आशय का विधेयक संसद के आगामी मानसून सत्र में पारित कराना चाहती है. सीपीएम ने केंद्र सरकार के विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) को खत्म करने के फैसले का विरोध करते हुए इसे बरकरार रखने की मांग की है. पोलित ब्यूरो की ओर से जारी बयान में सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा गया है कि इस विधेयक के जरिए सरकार ने देश के उच्च शिक्षण संस्थानों को अनुदान जारी करने का अधिकार अपने हाथ में रखने का प्रावधान किया है.
पार्टी ने सरकार से व्यवस्था में बदलाव से उच्च शिक्षा क्षेत्र में होने वाले संभावित नुकसान का हवाला देते हुए इस विधेयक को फौरन वापस लेने की मांग की है. पार्टी ने कहा कि सरकार सभी के लिए शिक्षा के समान अवसर सुलभ कराने वाली व्यवस्था लागू करने के बजाए शिक्षा क्षेत्र का बाजारीकरण करना चाहती है. पार्टी ने कहा कि इसके अलावा प्रस्तावित नई व्यवस्था में शैक्षिक संस्थाओं की मान्यता संबंधी सभी अधिकार नौकरशाहों को सौंपने के प्रावधान किए गए हैं. जबकि सीमित स्वायत्त अधिकारों के बावजूद यूजीसी द्वारा संचालित व्यवस्था में यह जिम्मेदारी शिक्षाविदों के हाथ में थी.
पोलित ब्यूरो ने दलील दी कि कानून के तहत एलआईसी बैंकिंग कारोबार के लिए अधिकृत नहीं है, इस कानूनी बाधा को दूर करने के लिए मोदी सरकार आनन-फानन में नियमों में बदलाव करने पर दबाव डाल रही है. पार्टी ने जनता की बचत राशि से बैंकों की डूबी रकम की भरपाई करने के कदम से बचाने की सरकार से मांग की. इसके अलावा पार्टी पोलित ब्यूरो ने दिवालिया होने जा रहे बैंक आईडीबीआई के घाटे की भरपाई जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के पैसे से करने की सरकार की पहल का भी विरोध किया है. पोलित ब्यूरो ने कहा कि एलआईसी में जनता की बचत का पैसा जमा होता है, और इस जमापूंजी में से 13 हजार करोड़ रुपए की सहायता राशि आईडीबीआई को जारी की जाएगी.