तिब्बती आध्यात्मिक गुरू दलाई लामा ने प्राचीन भारतीय परंपराओं का पुनरूद्धार करने और उन्हें आधुनिक शिक्षा प्रणाली के साथ एकीकृत करने का रविवार कोआह्वान किया. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इससे युद्ध और ग्लोबल वार्मिंग जैसे मुद्दों से निपटने में मदद मिलेगी.
दलाई लामा यहां वैश्विक शांति और सौहार्द को बढ़ावा देने में नैतिकता और संस्कृति की भूमिका पर आख्यान दे रहे थे. यह कार्यक्रम नेहरू स्मारक संग्रहालय और पुस्तकालय और 1978 में स्थापित गैर – राजनीतिक संगठन अंतर – राष्ट्रीय साहित्य परिषद ने किया था.
दलाई लामा ने कहा , ‘‘ शैक्षणिक प्रणाली में प्राचीन भारतीय परंपराओं को शामिल करने के बारे में गंभीर चर्चा शुरू होनी चाहिए. विश्व की समस्याओं के हल में मदद के लिए आधुनिक शिक्षा को अपनी प्राचीन परंपराओं से जोड़ने की भारत में योग्यता है.
उन्होंने कहा कि भारतीय सभ्यता की महानता उसका आध्यात्मिक भाईचारा और सद्भाव है. उन्होंने कहा कि उसने महानतम दार्शनिकों और उपदेशकों को जन्म दिया है जिनसे कारण और तार्किक निष्कर्ष पर आधारित बौद्ध धर्म की नालंदा परंपरा आगे बढ़ी.
तिब्बती बौद्ध धर्म में शामिल कई बातें नालंदा के शिक्षकों और परंपराओं से आई हैं. नालंदा अपने बौद्ध स्थलों और स्मारकों के लिए मशहूर है. नालंदा विश्वविद्यालय प्राचीन और मध्ययुगीन भारत में ज्ञान का सबसे महत्वपूर्ण बौद्ध केंद्र था जहां भारतीय उपमहाद्वीप के साथ ही चीन , मध्य एशिया और तिब्बत के छात्र और शिक्षक आते थे.