Thursday, November 21, 2024
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भले हुएं हो लाल किले पर अनेकों प्रहार, पर आज भी है ये भारत की आन बान और शान

SI News Today

Even after so many attacks on Red Fort, it still India’s Honour, prestige and pride.

     

पांचवें मुगल शासक शाहजहां ने लाल किला का निर्माण कराया था. इसे लाल रंग के बलुआ पत्थर से बनाया गया है. 254.67 एकड़ में फैले इस किले को मुगलों की नई राजधानी शाहजहांनाबाद के महल के तौर पर तैयार किया गया था. छह दरवाजों वाले इस किले को बनाने में 8 साल 10 महीने और 25 दिन लगे थे जिसे तीन हजार लोगों के रहने के लिए तैयार किया गया था. तख्त-ए-ताऊस में जड़ा कोहिनूर हीरा इसकी शान माना जाता था. लेकिन जब ईरानी आक्रांता नादिर शाह ने 1739 में दिल्ली पर हमला किया था तब उसने तत्कालीन मुगल शासक मुहम्मद शाह आलम को हराकर मयूर सिंहासन और कोहिनूर हीरा अपने साथ ले गया.

18वीं सदी के मध्य से आखिरी तक लाल किले पर बहुत हमले हुए, मराठा, सिख, जाट, गुर्जर, रोहिल्ला और अफगानिस्तान शासकों के हमलों का शिकार होता रहा. वही 1803 के बाद एक ऐसा वक़्त आया जब अंग्रेजो की नज़र में दिल्ली के लाल किले पर थी. वे इसपर यूनियन जैक फहराना चाहते थे. इसी बीच 1857 में अंग्रेजी शासन के खिलाफ बगावत शुरू हो गयी. मुगल शासक बहादुरशाह जफर के नेतृत्व में ब्रिटिश सेना ने बहादुर शाह जफर को लाल किले में कैद कर लिया था. जिसके बाद 7अक्टूबर 1858 को बहादुर शाह जफर को रंगून (अब यंगून) भेज दिया गया.

1858 का एक ऐसा दौर था जब ब्रिटिश अफसरों ने लाल किले को नष्ट करना शुरू कर दिया था. ब्रिटिश अफसरों ने रंग महल का बगीचा, रॉयल स्टोर रूम, किचन को अस्पताल व बंगले को प्रशासनिक भवन में बदल दिया. इसी बीच ईस्ट इंडिया कंपनी खत्म होने के कगार पर थी. भारत की कमान अब महारानी विक्टोरिया के हाथ में आने वाली थी. 1911 में ही ब्रिटिश ने इंडिया की राजधानी कलकत्ता से दिल्ली कर दी. इतिहासकारों का कहना है कि राजधानी बदलने का मुख्य उद्देश्य उत्तर भारतीयों को ये बताना था कि भारत अब मुगलों से आजाद होकर ब्रिटेन के कब्जे में आ चुका है.

1940 में रंगून को आजाद हिंद फौज का मुख्यालय बनाया गया. नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने यहां से पहली बार ‘चलो दिल्ली’ का नारा देते हुए लाल किला को दोबारा हासिल करने का एलान किया. 1945 से 1946 तक ब्रिटिश राज के खिलाफ भारतीयों का गुस्सा चरम पर पहुंच चुका था. पूरे देश में चल रही विरोधी लहर से ब्रिटिश शासन को ये अहसास हो गया कि देश में रहना मुश्किल है और भारत आजाद हुआ.

जिसके बाद भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने 15 अगस्त 1947 को लाल किले के लाहौरी गेट पर पहली बार भारतीय राष्ट्रीय झंडा फहराया था. तब से आज तक हर साल लाल किले पर15 अगस्त को झंडा फहराया जाता है. इसी पुरानी यादों को समेटे लाल किला हर साल देश के गौरव और बदलते दौर की तस्वीर लिए नजर आता है.

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