Fact Check: What is a false news viral about Accidental Death & Compensation on WhatsApp?
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एक झूठी खबर WhatsApp पर खूब वायरल हो रही है जिसमें कुछ इस तरह से लिखा गया है-
Accidental Death & Compensation (Income Tax Return Required)
अगर किसी व्यक्ति की accidental death होती है और वह व्यक्ति पिछले तीन साल से लगातार इनकम टैक्स रिटर्न फ़ाइल कर रहा था तो उसकी पिछले तीन साल की एवरेज सालाना इनकम की दस गुना राशि उस व्यक्ति के परिवार को देने के लिए सरकार बाध्य है ।
जी हाँ, आपको आश्चर्य हो रहा होगा यह सुनकर लेकिन यह बिलकुल सही है और सरकारी नियम है ,
उदहारण के तौर पर अगर किसी की सालाना आय क्रमशः पहले दूसरे और तीसरे साल चार लाख,पांच लाख और छः लाख है तो उसकी औसत आय पांच लाख का दस गुना मतलब पचास लाख रूपए उस व्यक्ति के परिवार को सरकार से मिलने का हक़ है। ज़्यादातर जानकारी के अभाव में लोग यह क्लेम सरकार से नहीं लेते हैं। जाने वाले की कमी तो कोई पूरी नहीं कर सकता है लेकिन अगर पैसा पास में हो तो भविष्य सुचारू रूप से चल सकता है ।
अगर लगातार तीन साल तक रिटर्न दाखिल नहीं किया है तो ऐसा नहीं है कि परिवार को पैसा नहीं मिलेगा लेकिन ऐसे केस में सरकार एक डेढ़ लाख देकर किनारा कर लेती है लेकिन अगर लगातार तीन साल तक लगातार रिटर्न फ़ाइल किया गया है तो ऐसी स्थिति में केस ज़्यादा मजबूत होता है और यह माना जाता है कि मरने वाला व्यक्ति अपने परिवार का रेगुलर अर्नर था और अगर वह जिन्दा रहता तो अपने परिवार के लिए अगले दस सालो में वर्तमान आय का दस गुना तो कमाता ही जिससे वह अपने परिवार का अच्छी तरह से पालन पोषण कर पाता।
सब सर्विस वाले लोग हैं और रेगुलर अर्नर हैं लेकिन बहुत से लोग रिटर्न फ़ाइल नहीं करते है जिसकी वजह से न तो कंपनी द्वारा काटा हुआ पैसा सरकार से वापस लेते हैं और न ही इस प्रकार से मिलने वाले लाभ का हिस्सा बन पाते हैं। इधर जल्दी में हमारे कई साथी / भाई एक्सीडेंटल डेथ में हमारा साथ छोड़ गए लेकिन जानकारी के अभाव में उनके परिवार को आर्थिक लाभ नहीं मिल पाया।
Source – forwarded
Section 166 of the Motor act, 1988 (Supreme Court Judgment under Civil Appeal No. 9858 of 2013, arising out of SLP (C) No. 1056 of 2008) Dt 31 Oct 2013.
AVNISH UPADHYAY
GWALIOR
TAX PRACTITIONER. 7415664556/9412615750
इस मेसेज को अधिक से अधिक फारवर्ड करे धन्यवाद
जैसे कुछ दिन पहले ये अफवाह भी उडी थी कि- ग्रीष्मकालीन अवकाश सत्र में प्राइवेट स्कूल नहीं ले सकेंगे फीस : अफवाह
जो कि सरासर झूठ और अफवाह है. लोग निचले हिस्से पर धयान नहीं दे रहे और धड़ाधड़ शेयर और फारवर्ड किये जा रहे हैं. जबकि Section 166 of the Motor act, 1988 (Supreme Court Judgment under Civil Appeal No. 9858 of 2013, arising out of SLP (C) No. 1056 of 2008) Dt 31 Oct 2013. का मतलब कुछ इस प्रकार है-
MV अधिनियम की धारा 166 क्या है?
Motor Vehicles Act 1988 (MV Act) इस बात से संबंधित है कि मुआवजे के लिए आवेदन कैसे किया जाना है। यह केवल उन चीज़ों के बारे में बात करता है जैसे मुआवजे के लिए आवेदन करने के लिए पात्र व्यक्तियों, इसे कैसे दायर किया जाना चाहिए आदि। दावा Motor Accident Claims Tribunal (MACT) के साथ दायर किया जाना है।
दावे याचिका में निम्नलिखित दस्तावेज शामिल होना चाहिए-
दुर्घटना मामले में पंजीकृत एफआईआर की प्रति (लागू होने पर)
एमएलसी / पोस्ट मॉर्टम रिपोर्ट / मृत्यु रिपोर्ट की प्रति
मृत्युदंड में पीड़ितों और मृतकों की पहचान के दस्तावेज
उपचार रिकॉर्ड के साथ उपचार पर खर्च किए गए खर्चों के मूल बिल
मृतक की शैक्षिक योग्यता के दस्तावेज, यदि कोई हो
चोट के मामले में विकलांगता प्रमाण पत्र
मृत / घायल की आय का सबूत
पीड़ित की उम्र के बारे में दस्तावेज
तीसरे पक्ष की बीमा पॉलिसी का कवर नोट (यदि कोई हो)
मुआवजे का भुगतान कौन करता है?
मोटर वाहन से जुड़े किसी दुर्घटना में स्थायी विकलांगता या मृत्यु के मामले में, मोटर वाहन के मालिक दुर्घटना के कारण एमवी अधिनियम की धारा 140 के अनुसार मुआवजे का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी है। मुआवजे की मात्रा एमवीसी द्वारा एमवी अधिनियम के दूसरे अनुसूची में गुणक तालिका के आधार पर तय की जाती है। हमने दुर्घटना पीड़ितों के लिए कानून समझाते हुए उपयोगी व्याख्याकर्ता वीडियो बनाया है।
सुप्रीम कोर्ट ने तब क्या कहा?
Supreme Court judgement में मामला मध्य प्रदेश में MACT द्वारा दिए गए मुआवजे की मात्रा को चुनौती देने वाली अपील के रूप में था। SC ने अपने फैसले में एमवी अधिनियम के दूसरे अनुसूची के अनुसार मुआवजे की मात्रा और गुणक को लागू करने का फैसला किया। अग्रेषित संदेश में दावा के अनुसार निर्णय में टैक्स रिटर्न का कोई संदर्भ नहीं है।
दावे पूरी तरह से झूठे हैं जैसा ऊपर बताया गया है!
मोटर वाहन दुर्घटना के मामले में सरकार को मुआवजे के साथ कुछ भी नहीं करना है। इसके अलावा, मुआवजे की मात्रा औसत आय से 10 गुना नहीं है, लेकिन एमवी अधिनियम में दिए गए गुणक के आधार पर। तो संदेश में दावे कुछ भी सच हैं। यह उन दुर्लभ झूठी खबरों में से एक है जो वास्तव में स्रोत का उल्लेख करते हैं जिससे किसी के लिए दावों की जांच करना आसान हो जाता है। किसी भी समाचार कहानी पर विश्वास न करें जो आपके रास्ते में आता है चाहे वह सकारात्मक या नकारात्मक हो। फारवर्ड बटन दबाने से पहले आपको कुछ तथ्य जांचना चाहिए।
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