भरतपुर: खुदी को कर बुलंद इतना कि हर तकदीर से पहले… खुदा बंदे से खुद पूछे बता तेरी रजा क्या है… आज हम आपको रू-ब-रू कराएंगे भरतपुर की ऐसी ही एक बेटी से जो अपनी मेहनत और दृढ़ संकल्प की मदद से अपने सपने साकार करने में लगी है. ये कहानी है लोहागढ़ यानि भरतपुर जिले की बेटी की जो अपनी मेहनत के बूते अपने परिवार की आजीविका तो चला ही रही है बल्कि पढ़ाई भी करती है और एक अच्छी शिक्षक बनकर शहर की बेटियों को भी शिक्षित करने का ख्वाब बुन रही है. मेहनती नीतू अपने सपनों को साकार करने की कोशिश में लगातार कड़ी मेहनत कर रही है.
लड़कियों ही नहीं लड़कों के लिए भी बनी प्रेरणा स्त्रोत
बात कर रहे हैं राजस्थान के भरतपुर जिला निवासी और बीए द्वितीय वर्ष की पढ़ाई कर रही 19 वर्षीय छात्रा नीतू शर्मा की जो समाज में ना केवल लड़कियों के लिए बल्कि लड़कों के लिए भी प्रेरणा स्रोत्र बन गई हैं. नीतू ने आज साबित कर दिया है कि यदि हौंसलों की उड़ान ऊंची हो तो मंजिल तक पहुंचने में मुसीबतें भी खुद रास्ता दे देती हैं. दरअसल, कुम्हेर उपखण्ड के गांव भांदौर खुर्द की निवासी नीतू शर्मा पिछले 8 सालों से दूध बेचकर अपने परिवार का पालन-पोषण करने में पिता की मदद कर रही हैं. सुबह चार बजे उठकर गांव में घर-घर जाकर दूध खरीदती हैं फिर उसे टंकियों में भरकर अपनी बाइक पर रखकर चल देती हैं शहर की ओर जहां वह शहर में घर-घर में दूध बेचती हैं.
पिछले आठ सालों से दूध बेच रही है 19 साल की लड़की
सुबह 10 बजे तक दूध बेचने के बाद अपने किसी रिश्तेदार के यहां बाइक और दूध की खाली टंकियों को रखकर नीतू अपने कपड़े बदलती हैं और उसके बाद वह कंप्यूटर क्लास ज्वाइन करती हैं फिर क्लास से फ्री होकर 12 बजे अपने गांव बापस लौट जाती हैं. यही सिलसिला शाम को भी चलता है. जहां शाम को गांव से दूध इकठ्ठा कर फिर शहर में बेचती हैं और रात करीब सात बजे तक वह अपने गांव बापस लौट जाती हैं. गांव लौटकर रात में वह अपनी पढ़ाई भी करती हैं.
दो बड़ी बहनों की शादी करने और खुद के शिक्षक बनने तक बेचती रहेगी दूध
नीतू शर्मा की चार बहनें है. बहनों के अलावा उनका एक छोटा भाई भी है जो अभी 10वीं कक्षा में पढ़ता है. दो बड़ी बहनों की शादी हो चुकी है लेकिन अभी दो बड़ी बहनों की शादी होना बाकी है. पिता मजदूरी करने जाते हैं. नीतू का सपना है कि अपनी पढ़ाई पूरी कर सरकारी शिक्षक बनें. नीतू ने ठान रखा है कि जब तक उसकी दो बड़ी बहनों की शादी नहीं हो जाती और वह खुद अध्यापक नहीं बन जाती तब तक वह दूध बेचने के इस व्यवसाय को करती रहेगी.
अब पीठ थपथपाते हैं शुरुआत में बुराई करने वाले लोग
घर से बाहर निकलेंगे तो लोग तो कुछ न कुछ कहेंगे ही… क्योंकि लोगों का काम है कहना… ऐसा नहीं है कि नीतू को लोगों की कही भली-बुरी बातों का सामना नहीं करना पड़ा. नीतू ने जब बाइक पर दूध ले जाकर दूध बेचने के काम की शुरुआत की तो समाज में लोगों ने उस पर तमाम प्रकार के तंज कसना शुरू कर दिया था. लेकिन, समाज के इन लोगों की परवाह नीतू ने बिल्कुल नहीं की. वह अपने काम में जुटी रही और आज वही गलियों-चौबारों पर नीतू की चार बातें बनाने वाले लोग उसकी पीठ थपथपाते हैं.
घर के पालन पोषण में सहारा बन रही है बेटी
खराब आर्थिक हालात और पिता के स्वास्थ्य को देखते हुए नीतू ने दूध बेचकर परिवार का पालन पोषण करने का बीड़ा उठाया था. एक वक्त तो ऐसा भी आया था कि घर की दयनीय आर्थिक हालात के चलते उसके पिता ने आगामी पढ़ाई करने के लिए उससे मना कर दिया था लेकिन आज वही नीतू न केवल अपनी पढ़ाई भी कर रही है बल्कि अपने पिता का सहारा भी बन रही है.