राजस्थान में एक मासूम अंधविश्वास से जुड़ी प्रक्रिया का शिकार हुआ है। एक महीने का बच्चा निमोनिया से पीड़ित था। इलाज के लिए उस पर तेजाब उड़ेल दिया गया, जिसके कारण उसकी छाती पर जख्म हो गया। बच्चे के घर वाले उसकी हालत खराब होने पर उसे एक महिला के पास ले गए थे, जिसने बच्चे को तेजाब डालकर ठीक करने का दावा किया था। पुलिस ने शिकायत के आधार पर आरोपी महिला को गिरफ्तार कर लिया है। फिलहाल बच्चा अस्पताल में भर्ती है। एक महीने का प्रियांशू निमोनिया से पीड़ित था। 26 मार्च को घर वाले उसे इलाज के लिए विनोबा बस्ती में एक महिला के पास ले गए थे। महिला ने बच्चे को ठीक करने के नाम पर तेजाब का इस्तेमाल किया, जिससे उसकी छाती और घुटनों पर जलने के जख्म आए हैं।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, महिला के यहां और भी लोग अपने बच्चों का इलाज कराने आए थे। पीड़ित बच्चे को घटना के फौरन बाद पास के सरकारी अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसकी हालत देख पुलिस को जानकारी दी। कोटवाली पुलिस थाने में इसके बाद मामला दर्ज हुआ। जानकारी होने पर सवाई माधोपुर के जिला कलेक्टर केसी वर्मा बच्चे को देखने अस्पताल पहुंचे थे। उन्होंने आश्वासन दिया है कि आरोपी महिला के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। वर्मा ने इसी के साथ हिदायत दी है कि लोग उस महिला की बातों में न आएं।
आपको बता दें कि राज्य में यह इस तरह का पहला मामला नहीं है। बीते महीने भीलवाड़ा में खांसी और जुखाम से पीड़ित एक चार महीने की बच्ची को इलाज के नाम पर रॉड से जला दिया गया था। यह मामला यहां के रामखेड़ा गांव का था, जहां परिजन बच्ची को फौरन महात्मा गांधी अस्पताल ले गए थे। डॉक्टरों ने बच्ची के इलाज के साथ इस बारे में पुलिस को सूचना दी थी, तब मामला सामने आया था।