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#HappyIndependenceDay #India #72thIndependenceDay #NarendraModi
मोक्ष पाकर स्वर्ग में रखा क्या है।
जीवन सुख तो मातृभूमि की धरा पर है।
तिरंगा कफ़न बन जाये इस जनम में,
तो इससे बड़ा धर्म क्या है।
सभी भारत वासियों को S.I. न्यूज टुडे की तरफ से स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं। सारे भारत अपितु पूरे विश्व की नजर लाल किले की प्राचीर पर अटकी थी, हर भारतीय इस बात को लेकर उत्सुक था कि आखिर हमारे प्रधानमंत्री के मन की बात क्या होगी। इतिहास में और वर्तमान में लाल किले की प्राचीर का बड़ा ही महत्व रहा है, यहां से बोले गए एक-एक शब्द ने सदैव भारत के भविष्य निर्माण का कार्य किया है।
बीते 71 वर्षोँ में भारत ने कामयाबी की कई बड़ी ईबारतें लिखीं हैं, विज्ञान राजनीति, खेल,साहित्य,कला,संगीत,योग और भी कई क्षेत्रों में भारत का योगदान अतुलनीय रहा है। आज के इस दौर में हमारे नेता भारत को विश्व गुरु के रूप में स्थापित करने का सपना देखते हैं, उनके द्वारा वैश्विक मंच से भारत को एक प्रतिभावान देश बताया जाता है, विश्व के कोने कोने में जाकर हमारे देश के प्रतिनिधि भारत के गौरवशाली इतिहास और स्वर्णिम भविष्य की बाते करते हैं। आज हमारे प्रधानमंत्री के 82 मिनट के भाषण में भी देश के स्वर्णिम भविष्य को लेकर काफी योजनाएं क्रियान्वित की गई हैं जिसमे मुख्यता स्वास्थ्य, कृषि और महिला शसक्तीकरण की झलक देखने को मिली है।
आयुष्मान योजना से भविष्य में करीब 50 करोड़ लोगों के लाभान्वित होने के साथ 10 करोड़ परिवारों को 5 लाख रुपये तक इलाज की सुविधा का दावा भी किया गया है। वहीं बलात्कार जैसी घटनाओं पर चिंता व्यक्त करते हुए साथ ही साथ तीन तलाक जैसे मुद्दों पर बोल कर प्रधानमंत्री ने उन विपक्षियों को घेरा भी जिन्होंने इस कानून के विरुद्ध आवाज उठाई थी। विश्व की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था और क्रयशक्ति समानता के साथ भारत पिछले तीन सालों में चीन को भी पछाड़ते हुए विश्व की सबसे तेज़ उभरती अर्थव्यवस्था के रूप में आ खड़ा हुआ है। हमारी सैन्य ताकत से लेकर हमारे अंतरिक्ष विज्ञान का मुकाबला करना अब हर किसी के बस की बात नहीं है। साफ शब्दों में कहा जाए तो भारत आने वाले समय मे विकास की कतार में सबसे आगे खड़ा मिलेगा।
लेकिन क्या अर्थव्यवस्था के आँकड़े मात्र ही हमको विश्व गुरु का दर्जा दिला पाएंगे। 5 बलात्कार प्रतिदिन, तथाकथित गौ रक्षकों की भीड़ द्वारा आये दिन हत्याएं 24% बेरोजगारों और 22 करोड़ भूखों के साथ क्या यह भारत विश्व गुरु बन कर समस्त विश्व का प्रतिनिधित्व कर पायेगा। एक गुरु के अंदर सर्वप्रथम त्याग की भावना होनी चाहिए क्या यह भावना हम अपने अंदर जनित कर पाए हैं। मुझे यह कहने में बिल्कुल भी संकोच नहीं कि इस देश का बंटवारा जातीय आधार पर हुआ था,लेकिन इतिहास की इस त्रासदी से आज भी हमने कोई सीख नही ली। क्योंकि आज भी हमारे देश के निर्माणकर्ता सत्ता के लिए जातीय समीकरणों का ही इस्तेमाल करते हैं। आज वोट के लिए जातियों में उप जातियां बनाई जा रहीं हैं, आरक्षण और हरिजन एक्ट के नाम एक बड़े वर्ग को लाभान्वित करने का ढोंग किया जा रहा है, चुनाव से पहले राजनेता जनता के बीच जाने से ज्यादा मंदिरों,मस्जिदों में देखें जा रहे हैं। भारत के संविधान की आत्मा माने जाने वाले उद्देशिका की पहली लाइन की शुरआत में ही लिखा है कि “हम भारत के लोग…..” लेकिन सवाल यह है कि लोग कहाँ है कब हमारे देश के भविष्य निर्माता किसी जाति विशेष की बातें न कर के लोगों की बात करेंगे, जिसमे हर धर्म जाति और समूह के लोग सर उठा कर यह कह सके कि सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तान हमारा।