From the past few years Mahatma Gandhi spectacles a missing, read full news.
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1999 को मदर टेरेसा क्रिसेंट के लॉन में काम कर रहे माली की नजर अचानक ‘ग्यारह मूर्ति’ में दांडी मार्च की अगुवाई कर रहे बापू की मूर्ति पर पड़ी. उसे कुछ तो अटपटा लग रहा था तो उसने उसके पास जाकर देखा तो समझ आया कि वो चेहरा महात्मा गांधी के चेहरे से थोड़ा अलग लग रहा था. माली ने दोबारा फिर से ध्यान से देखा तो उसको तब भी वो चेहरा लग ही रहा था. लेकिन उसे समझ नहीं आ रहा था कि आखिर क्यों ये मूर्ति उसे पूरी तरह से अलग रही थी. बहुत देर तक परेशान रहने के बाद उसे समझ आया कि बापू के चेहरे पर लगाया हुआ गोल चश्मा गयाब है.
एनडीएमसी के माली मनोहर लाल ने बताया कि चश्मा पत्थर नक्काशी के साथ ही जुड़ा था. जब उनकी नजर गई, तो देखा की चश्मा दोनों तरफ से टूटा हुआ है. उन्होंने बताया क्योंकि घटना को काफी समय हो चुका है. इसलिए अब बहुत कुछ याद नहीं है.
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार नई दिल्ली नगर परिषद ने जब इसकी शिकायत पुलिस से की तो उन्होंने शिकायत तो सुनी. लेकिन उस शिकायत की एफआईआर दर्ज नहीं की. अब 18 सालों के बाद पुलिस भी शिकायत को भूल चुका है. दिल्ली पुलिस से सेवानिवृत्त हुए इंस्पेक्टर श्रीकांत यादव उस समय चाणक्यपुरी पुलिस स्टेशन में तैनात थे. उन्होंने बताया कि ये शिकायत आई थी, लेकिन इस शिकायत को उस समये सुलझाया नहीं गया था. उन्होंने बताया कि काफी जांच की गई, लेकिन अपराधी को नहीं पकड़ा गया.