चालू संसद सत्र में यह खुलासा किया गया है कि सरकार ने जब 6.70 करोड़ ड्राइविंग लाइसेंस को स्कैन किया तो उसमें 16.72 लाख ड्राइविंग लाइसेंस के डुप्लीकेट होने की संभावना पाई गई है। इससे पहले सड़क व परिवहन केंद्रीय मंत्री नितिन गड़करी ने कहा था कि देश में 30 प्रतिशत ड्राइविंग लाइसेंस संभावित रूप से फर्जी हैं। इस मामले के बाद अब सरकार ने ड्राइविंग लाइसेंस प्राप्त करने की प्रक्रिया को डिजिटलाइज करने की योजना बनाई है। इतना ही नहीं लाइसेंस की नकल को दूर करने के लिए इसे आधार से जोड़ा जाएगा। खबर के अनुसार, नकली लाइसेंस के सम्बंध में राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केन्द्र (एनआईसी) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, नकली लाइसेंस बनने की काफी संभावनाएं हैं।
यह बात गुजरात के सड़क परिवहन व हाइवे राज्य मंत्री मंसुख लाल मंडाविया ने राज्यसभा में एक लिखित जवाब में कही। मंसुख लाल ने कहा “5 जनवरी, 2015 तक 6,70,16,851 ड्राइविंग लाइसेंस का रिकॉर्ड है। इनमें से 16,72,138 ड्राइविंग लाइसेंस के नकली होने की संभावना है जो कि 7,99,923 समूहों में फैले हुए हैं। सरकार द्वारा जारी की गई रिपोर्ट में कहा गया है कि नकली लाइसेंस के लिए अलग से सॉफ्टवेयर बनाया गया है जो कि सभी राज्यों में मौजूद है। इसी की सहायता से नकली लाइसेंस बनाए जा रहे हैं।
फरवरी 2018, में सरकार द्वारा इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया गया था और वे इससे भली-भांति परीचित हैं। इस मुद्दे को लेकर आरटीएच मंत्रालय के ज्वाइंट सेक्रेटरी ने सूचित किया था कि एनआईसी ‘सार्थी-4’ बना रही है, जिसके तहत लाइसेंस को आधार से लिंक किया जाएगा। इतना ही नहीं मामले को गंभीरता से लेते हुए सरकार ने कहा कि आगे की कार्रवाई के लिए बहुत ही जल्द राज्यों के साथ नकली ड्राइविंग लाइसेंस की जानकारी साझा की जाएगी। वहीं मोटर वाहन अधिनियम के प्रावधानों पर बात करते हुए कहा गया कि मोटर वाहन अधिनियम के प्रावधानों का कार्यान्वयन राज्य सरकारों के अंतर्गत आता है। मोटर वाहन अधिनियम संशोधन बिल 2017 को लोकसभा में पास किया जा चुका है फिलहाल राज्यसभा में विचार के बाद पास करने के लिए रखा गया है।