सुप्रीम कोर्ट द्वारा शफीन जहां से शादी को बरकरार रखने के फैसले के बाद अपने गृहराज्य केरल पहुंची हादिया ने शनिवार को कहा, ‘यह सब मेरे इस्लाम कबूलने की वजह से हुआ.’ हादिया ने मीडिया के साथ बातचीत के दौरान कहा, “संविधान अपना धर्म चुनने की पूरी अजादी देता है, जो हर नागरिक का मौलिक अधिकार है और यह सब मेरे इस्लाम कबूलने की वजह से हुआ.” हादिया और उनके पति शनिवार को सेलम से पहुंचे और फिर ‘पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया’ (पीएफआई) के कार्यालय गए, जहां दोनों ने मीडिया से बात की.
सुप्रीम कोर्ट ने आठ मार्च को केरल हाईकोर्ट के उस को पलट दिया, जिसमें दोनों की शादी को रद्द कर दिया गया था. हादिया ने कहा, “सुप्रीम कोर्ट द्वारा हमारी शादी बरकरार रखे जाने से हमें ऐसा लग रहा है कि हमें आजादी मिल गई है” हादिया (24) जो पहले अखिला अशोकन थी, उसने इस्लाम कबूल कर शफीन जहां से शादी कर ली थी.
हादिया के पिता ने आरोप लगाया था कि आतंकवादी संगठनों से संबंधित समूहों ने जबरन उसका धर्म परिवर्तन कराया . तमिलनाडु के सेलम लौटने से पहले हादिया तीन दिन और केरल में रहेंगी. वह वहां (सेलम) पढ़ाई कर रही हैं. हादिया ने कहा, “मुश्किल की घड़ी में सिर्फ पीएफआई ने उनका साथ दिया और सबसे हैरानी की बात यह रही कि जिन दो मुस्लिम संगठनों से हमने मदद मांगी, उन्होंने हमारी सहायता करने से इनकार कर दिया.”
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायाधीश ए.एम. खानविलकर और न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ ने गुरुवार को कहा, “हादिया उर्फ अखिला अशोकन को कानून के मुताबिक अपना जीवन जीने की आजादी है.”
एनआईए हदिया के विवाह की जांच न करे : सर्वोच्च न्यायालय
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने बीते 23 जनवरी को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को हदिया मामले में किसी भी आपराधिक पहलू की जांच करने की इजाजत दे दी था, लेकिन साथ ही न्यायालय ने स्पष्ट किया था कि उसके विवाह के संबंध में कोई जांच नहीं होगी. हिंदू महिला हदिया ने अपना धर्म परिवर्तन कर इस्लाम कबूल कर लिया था और उसने शफीन जहां से शादी कर ली थी. विवाह से आपराधिक पहलू को अलग किए जाने को ध्यान में रखते हुए प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए.एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति डी.वाई.चंद्रचूड़ की पीठ ने कहा था, “..नहीं तो हम कानून में एक बुरी मिसाल पेश कर देंगे.”
पीठ ने कहा था, “हम विवाह में दखल नहीं दे सकते, चाहे उसने जिस भी व्यक्ति से शादी की है, वह बुरा व्यक्ति हो या अच्छा व्यक्ति. हदिया 24 वर्ष की है और उसने स्वतंत्र रूप से निर्णय लिया और विवाह किया है.” सर्वोच्च न्यायालय ने यह स्पष्ट किया था कि एनआईए को हदिया के शफीन जहां से विवाह मामले से दूर रहना होगा. साथ ही न्यायालय ने कहा कि एजेंसी ‘उसकी शादी को छोड़ कर सभी पहलुओं की जांच कर सकती है.’ इस मामले में इससे पहले की सुनवाई के दौरान, हदिया को मुक्त कराकर उसकी पढ़ाई जारी रखने की इजाजत दी गई थी. हादिया ने अदालत से कहा था कि वह तमिलनाडु के सेलम में शिवाराज होम्योपैथिक कॉलेज में अपनी इंटर्नशिप पूरी करना चाहती है.