नरेंद्र मोदी और प्रवीण तोगड़िया कभी गहरे दोस्त रहे, इतने गहरे की 90 के दशक में एक ही स्कूटर पर बैठकर घूमा करते थे । दोनों साथ-साथ संघ पदाधिकारियों से मिलते थे। मगर कुछ सियासी मजबूरियों और मतभेद ने दोनों को कब एक दूसरे का विरोधी बना दिया, यह शायद उन्हें भी नहीं पता चला। दोनों नेताओं के 20 वर्ष पुराने रिश्ते को लेकर कुछ यही बताते हैं संघ और विहिप के नेता। विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष प्रवीण तोगड़िया की मंगलवार(16 जनवरी) को हुई प्रेस कांफ्रेंस ने ठंड में देश की राजनीति गरमा दी है। जिस ढंग से उन्होंने केंद्र के अधीन इंटेलीजेंस ब्यूरो(आईबी) पर प्रताड़ित करने का आरोप लगाया, उससे निशाना मोदी सरकार तक जा रहा है। ऐसे वक्त में एक बार फिर दोनों नेताओं के रिश्ते को लेकर चर्चा शुरू हो गई है। संघ और विहिप के कुछ पुराने पदाधिकारियों के मुताबिक दोस्ती में एक बार दरार पड़नी शुरू हुई तो फिर पटरी पर रिश्ते नहीं आए। तोगड़िया इस कदर नाराज हुए कि उन्होंने मोदी से पूरी तरह रिश्ता तोड़ लिया। जबकि 2002 में मोदी के मुख्यमंत्री बनने में उन्होंने भी मदद की थी।
मोदी ने कहा-सरकार में न करें हस्तक्षेपः अहमदाबाद मिरर की रिपोर्ट में गुजरात के एक विहिप नेता के हवाले से कहा गया है कि मोदी और तोगड़िया के रिश्ते बिगड़ने की शुरुआती वजह गुजरात सरकार में हस्तक्षेप से जुड़ी है। मुख्यमंत्री बनने के बाद 2002 में मोदी को पता चला कि गृहविभाग के कामकाज में तोगड़िया काफी हस्तक्षेप करते हैं। जिस पर उन्होंने तोगड़िया को सरकार के कामकाज में दखलंदाजी से दूर रहने को कहा था, वहीं अफसरों को भी नसीहत दी थी। यह बात तोगड़िया को काफी खराब लगी। यही से दोनों के रिश्ते बिगड़ने शुरू हुए। इसके बाद कुछ और वाकये हुए, जिसने दोनों नेताओं को आमने-सामने किया। गुजरात के गांधीनगर विकास के नाम पर दो सौ मंदिरों को तोड़ दिया गया। इस मुद्दे पर भी मोदी और तोगड़िया के बीच विवाद बढ़ा। बाद में जिन्ना पर आडवाणी की टिप्पणी के विरोध मे भी जब विहिप कार्यकर्ता गुजरात में प्रदर्शन कर रहे थे, तब पुलिस ने लाठीचार्ज किया था। इस पर भी विहिप और गुजरात की तत्कालीन मोदी सरकार के बीच टकराव बढ़ा था। जब 2011 में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री मोदी ने सद्भावना कार्यक्रम आयोजित किया तो इसकी तोगड़िया ने खिल्ली उड़ाई थी। कहा था कि- ‘‘ मोदी अपनी छवि चमकाने के लिए हिंदुत्व का एजेंडा डंप कर रहे हैं। ”
‘अहमदाबाद मिरर’ की रिपोर्ट में विहिप के एक नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया- ‘‘ संघ और भाजपा की कोशिश रही कि विश्व हिंदू परिषद से तोगड़िया मुक्त हों। ताकि संघ के बैनर तले कुछ नए प्रोग्राम लांच किए जा सकें। मगर तोगड़िया ने विरोध किया। इसी का सिला उन्हें मिल रहा है। ” विहिप नेता के मुताबिक हाल ही में विहिप की कार्यकारी परिषद की बैठक भुवनेश्वर में हुई। जिसमें तोगड़िया और अध्यक्ष रेड्डी के 31 दिसंबर 2017 को खत्म हो रहे कार्यकाल के बाद आगे के लिए मनोनयन पर चर्चा होनी थी। । संघ वी कोकजे को रेड्डी के स्थान पर पद देना चाहता था, मगर तोगड़िया ने इसका कड़ा विरोध किया।
इसके बाद तोगड़िया ने बाद में संगठन कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि कुछ नेता उन्हें हटाने की साजिश कर रहे हैं। बाद में उन्होंने केंद्र सरकार पर भी राम मंदिर और गौ रक्षा मुद्दे पर हमला बोला। जबकि गौ सेवा को लेकर उन्होंने कांग्रेस की सराहना की थी। विहिप नेता कहते हैं कि- ‘‘इन्हीं सब विरोध के कारण पिछले 15 दिन में तोगडि़या के खिलाफ 22 साल पुराने केस खुलवाए गए। एक केस गुजरात और दूसरा केस राजस्थान से जुड़ा रहा। पुराने मामले में गुजरात और राजस्थान पुलिस मिलकर तोगड़िया को गिरफ्तार करना चाहती थी। मगर, जब राजस्थान पुलिस गिरफ्तारी के लिए पहुंची तो तोगड़िया के न मिलने पर उसे खाली हाथ लौटना पड़ा। इससे पता चलता है कि भाजपा उन्हें बख्शने के मूड में कतई नहीं है। “