In Kargil, the martyred father will be the son of Lieutenant in his battalion.
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1999 में हुए कारगिल के युद्ध में भारत माँ के अनेकों वीर सपूतों ने अपने प्राणो की आहुति देकर पाकिस्तानी सेना को मुँह तोड़ जवाब देते हुए तिरंगे का मान बढ़ाया। लांस नायक बच्चन सिंह उन महान शहीदों में से एक थे जो राजपूताना राइफल में सेकंड बटालियन में अपनी सेवा भारत माँ को दे रहे थे।
आज उसी महान हस्ती के बेटे हितेश कुमार ने उन्ही की बटैलियन में लेफ्टिनेंट के पद पर ज्वाइन होकर उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि दी है। हितेश बताते हैं कि पिता की तरह वह भी देशसेवा का जज्बा रखते हैं। हितेश ने राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल चहल (हिमाचल प्रदेश) से हाईस्कूल, राष्ट्रीय एकेडमी बलगाम कर्नाटक से इंटरमीडिएट किया है, जबकि श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स दिल्ली से बीकॉम ऑनर्स किया है। वह कहते हैं कि उनकी मां कामेश के संघर्ष और दुआओं के कारण ही यह कामयाबी मिल पायी है।
1999 में जब बच्चन सिंह शहीद हुए उस समय हितेश की आयु मात्र 6 वर्ष थी। हितेश बचपन से ही अपने पिता की आर्मी-ड्रेस को देखकर बड़ा हुआ था और वह भी सेना में भर्ती होने का सपना देख रहा था।
अब 19 साल बाद इंडियन मिलिट्री अकादमी देहरादून ( IMA, देहरादून ) से पास होकर वह राजपूताना राइफल्स ही ज्वाइन करेगा, इसी बटालियन में उसके पिता शहीद बच्चन सिंह थे। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार- “इस मौके पर हितेश ने कहा, पिछले 19 सालों से मैं भारतीय सेना ज्वाइन करने का सपना देख रहा था. ये मेरी मां का भी सपना था. अब मैं अपने देश की सेवा करूंगा. ये मेरे लिए बड़े ही गर्व का क्षण है।”
देहरादून अकादमी से पासआउट होने के बाद हितेश ने अपने भाई और मां के साथ मुजफ्फरनगर सिविल लाइंस एरिया में मौजूद अपने पिता को श्रद्धांजलि अर्पित की। हितेश की माँ ने कहा- “आज मुझे गर्व है कि मेरा बेटा अब अपने देश की सेवा करेगा। उसका छोटा भाई हेमंत भी सेना की ही तैयारी कर रहा है।”
शहीद बच्चन सिंह एक बहादुर सिपाही थे। आज उनका बेटा भी उन्ही के नक़्शे-कदम पर चलने जा रहा है और कहीं दूर उन्हें अपने बेटे पर बड़ा गर्व महसूस हो रहा होगा।