Friday, November 22, 2024
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बेनक्रॉफ्ट के मामले में स्मिथ ने मीडिया का सामने अपना गुनाह कबूला किया

SI News Today

क्रिकेट जगत में आज तक किसी ने भी बॉल टेंपरिंग के मामले में फंसे क्रिकेटर कभी अपनी गतली नहीं मानी वहीं स्मिथ और बेनक्रॉफ्ट ने मीडिया का सामने अपना गुनाह कबूला है सबसे पहली और साफ बात. ऑस्ट्रेलियन कप्तान स्टीव स्मिथ और ओपनर केमरन बेनक्रॉफ्ट ने केपटाउन टेस्ट मैच में गेंद से रिवर्स स्विंग हासिल करने के लिए, उसे खराब करने की शर्मनाक करतूत की. उसके लिए आईसीसी के नियमों के तहत दोनों के कड़ी सजा मिलनी चाहिए.

जाहिर है, इस हरकत से ऑस्ट्रेलियन क्रिकेट को जो नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई कभी नहीं होने वाली. भविष्य में जब भी ऐसा विवाद होगा और इतिहास के पन्ने पलटे जाएंगे, स्मिथ और बेनक्रॉफ्ट का नाम सबसे पहले पेज पर दिखाई देगा.

भारत में इन दोनों की हरकत को लेकर काफी कड़ी प्रतिक्रिया हुई है. मीडिया का एक वर्ग आईसीसी को निशाना बना रहा है. तर्क दिया जा रहा है कि आईसीसी ने इन दोनों को सस्ते में छोड़ दिया. स्मिथ पर ताउम्र प्रतिबंध लगाने की मांग हो रही है. भारतीय मीडिया बॉल टेंपरिंग को मैच फिक्सिंग के साथ जोड़ रहा है.

आलोचक शायद भूल गए हैं कि यह गेंद के साथ छेड़छाड़ करने का पहला मामला नहीं है. ऐसा भी नहीं है कि किसी भारतीय खिलाड़ी पर ऐसे इल्जाम नहीं लगे. अभी 17 महीने पहले की ही बात है.

राजकोट में इंग्लैंड के खिलाफ राजकोट टेस्ट मैच में भारतीय कप्तान विराट कोहली पर आरोप लगा कि उन्होंने च्युइंगम के सलाइवा को गेंद चमकाने के लिए इस्तेमाल किया. आरोपों को दावे में यू-ट्यूब पर उस कथित घटना के वीडियो आज भी मौजूद है. लेकिन तकनीकी कारणों से भारतीय कप्तान के खिलाफ न कोई शिकायत हुई और न ही कोई कार्रवाई.

आईसीसी के नियम कहते हैं कि इस तरह की किसी भी जालसाजी की शिकायत मैच के दौरान या मैच खत्म होने के पांच दिन के भीतर होनी चाहिए. विराट के मामले में दिन ज्यादा हो गए थे.

2001 में पोर्टएलिजाबेथ टेस्ट मैच में सचिन तेंदुलकर पर भी गेंद की सिलाई उखाड़ने के आरोप में एक मैच का प्रतिबंध लगा. खुद दक्षिण अफ्रीकी फाफ ड्यू प्लेसी दो बार गेंद के साथ कलाकारी करते पकड़े गए हैं. उन्हें सजा भी मिली.

पाकिस्तान के पूर्व कप्तान शाहिद आफरीदी ने तो गेंद ही चबा ली. और भी कई मामले हैं, जहां पर गेंद की शेप खराब करने के लिए खिलाड़ियों से कैमरों और अंपायरों को धोखा देने के लिए हर तरीका अपनाया. लेकिन स्टीव स्मिथ और बेनक्रॉफ्ट के मामले और बाकियों में एक बड़ा अंतर है.
इन दोनों ने लाइव मीडिया के सामने स्वीकार किया कि उन्होंने यह काली करतूत की है और वह इसके लिए जिम्मेदार हैं, शर्मिंदा हैं और हर सजा भुगतने के लिए तैयार हैं. इससे पहले ऐसा आरोप झेलने वाले खिलाड़ियों ने कभी नहीं माना और हर कानून और अपील का सहारा लिया.

भारतीयों के मामले में तो आईसीसी को एक टेस्ट मैच का दर्जा ही खारिज करना पड़ा, क्योंकि भारतीय बोर्ड में सचिन पर आरोप लगाने वाले अंपायर माइक डेनेस को स्वीकर करने से इनकार कर दिया.

रही बात इस प्रकरण को मैच फिक्सिंग से जोड़ने की, तो उसे सिर्फ एक ही संदर्भ में जोड़ा जा सकता है. 2000 के मैच फिक्सिंग कांड में साउथ अफ्रीकी कप्तान हैंसी क्रोनिए ने चर्च में मत्था टेकने के बाद जनता में स्वीकार कर लिया कि उन्होंने भारत के खिलाफ वनडे मैच में 20 से भी कम रन बनाने के लिए भारतीय बुकी से करीब 15 हजार डॉलर लिए थे.

क्रोनिए ने साउथ अफ्रीका में जांच कर रहे किंग कमीशन के सामने खुलासा किया था कि भारतीय कप्तान मोहम्मद अजहरुदीन ने ही उसे उक्त बुकी से मिलवाया था. अकेले अजहर ही नहीं थे जो फिक्सिंग की जांच के दायरे में आए.

सीबीआई के पास ऑडियो रिकॉर्डिंग्स हैं जिनमें भारत के स्टार क्रिकेटरों ने स्वीकार किया था कि उन्होंने डॉलरों के लिए देश को बेचा दिया था. वह बात अलग है कि उन्होंने कोर्ट में अपने ऊपर लगे आरोपों को मानने से इनकार कर दिया भारतीय न्याय प्रणाली में खामियां उनके पाक-साफ निकलने में मददगार साबित हुईं.

लेकिन शर्मनाक पहलू यह है कि आज वही दागी भारतीय टीवी चैनलों पर क्रिकेट के एक्सपर्ट के तौर पर स्मिथ और बेनक्रॉफ्ट की लानत-मलानत कर रहे हैं. जाहिर है कि स्मिथ और बेनक्रॉफ्ट ने बेइमानों की भीड़ में शामिल हो जाने के बाद भी अपनी जालसाजी को ईमानदारी से स्वीकार कर खुद का बाकियों से अलग कर लिया है. दुनिया का कोई भी धर्म हो या सभ्यता, सभी के दरवाजे क्षमा के लिए हमेशा खुले हैं. इसलिए स्मिथ पर आजीवन प्रतिबंध की मांग शर्मनाक है.

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