मंडी जिले के सुंदरनगर क्षेत्र के बायला निवासी हेमराज की इराक के मोसुल में हत्या से परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। गरीबी दूर करने इराक गया परिवार का इकलौता बेटा नहीं लौटा। चार वर्ष की अनन्या पिता का चेहरा तक नहीं देख सकी। हेमराज 31 जुलाई 2013 को इराक गया था। 4 जून 2014 को आखिरी बार पत्नी निर्मला से हेमराज की बात हुई थी।
उधर पिता की मौत की खबर से अंजान संदीप के 7 वर्षीय बेटे रुद्राक्ष को पता ही नहीं था कि यकायक उनके घर इतना मातम या भीड़ क्यों है। करीब साढ़े चार साल पहले जब संदीप रोजी रोटी के लिए इराक गया था तो रुद्राक्ष महज ढाई साल का था। अपने बेटे और परिवार के बेहतर भविष्य के लिए संदीप ने जो ख्वाब देखे थे, वे सब बुजुर्ग माता-पिता व पत्नी के विलाप में ओझल होते दिखे।
संदीप जब इराक गए थे, उस दौरान रुद्राक्ष पिता को अच्छे से पापा भी नहीं बोल पाता था। रुद्राक्ष ने पहली कक्षा और बेटी पुल्कित ने पांचवी कक्षा की परीक्षा दी है।
इस दुखद खबर के आने से पहले तक पूरे परिवार को जो संदीप के देर-सवेर घर वापस लौटने की उम्मीद थी, वो भी टूट गई और परिवार पर टूटे इस कहर से अंजान मासूम बच्चों को अपने पिता का दुलार मिलने की आस भी हमेशा के लिए गम में तबदील हो गई।
इन मासूम बच्चों को न तो अब पिता का दुलार नसीब होगा और जिनके सुनहरे भविष्य की तलाश में संदीप करीब चार साल पहले इराक गया था, वह भी उनके बचपन की यादों को अपनी आंखों में समेटने से महरूम रह गया।
सितंबर 2017 में केंद्र सरकार के निर्देश पर जिला प्रशासन ने संदीप के माता-पिता और बहन के खून के नमूने डीएनए जांच के लिए लिए थे। उन्हें फतेहपुर अस्पताल बुलाया गया था। उसी दिन परिवार वालों की उम्मीद टूटने लगी थी, लेकिन उनका दिल मानने को तैयार नहीं था।
धमेटा के संदीप की मौत की पुष्टि उसके जन्मदिन के ठीक एक माह बाद उसी तारीख को हुई। संदीप का जन्म 20 फरवरी 1976 को हुआ था। वह 15 जून 2014 से इराक में लापता था।