Kamal Haasan meets Kumaraswamy! said...
अभिनेता से नेता बने कमल हासन ने तमिलनाडु और कर्नाटक के बीच कावेरी जल बंटवारे के विवाद पर कर्नाटक के सीएम एचडी कुमारस्वामी से बातचीत की है. खबर के मुताबिक कमल हासन ने सोमवार को मुलाकात के बाद कहा कि इस मुद्दे पर कर्नाटक के सीएम की प्रतिक्रिया प्रशंसनीय थी. यह बैठक करीब एक घंटे तक चली. हासन ने कहा कि कुमारस्वामी के साथ हुई वार्ता में उन्हें उम्मीद की किरण नजर आ रही है. साथ ही हासन ने हल्के-फुल्के अंदाज में कहा कि नदी के पानी के दो रास्ते नहीं हैं.
कमल हासन के गृहराज्य तमिलनाडु और पड़ोसी राज्य कर्नाटक के बीच कावेरी जल बंटवारा दोनों राज्यों के बीच विवाद की एक बड़ी वजह है. पिछले महीने हासन के साथी अभिनेता और सुपरस्टार रजनीकांत ने कुमारस्वामी के सत्ता हासिल करने के बाद अपील की थी कि वह तमिलनाडु के हित के लिए सही कदम उठाएं.
इस विवाद में कोर्ट के बाहर किसी तरह के दोनों राज्यों में समझौते की संभावना ने मजाकिया लहजे में हासन ने कहा, ‘हम पानी का बंटवारा कर रहे हैं. इसके दो रास्ते नहीं हैं. मुझे खुशी है कि मुख्यमंत्री भी इसी नजरिए से इस विवाद को देख रहे हैं.’
रजनीकांत को अपना दोस्त मानने वाले हासन ने कहा, ‘मैं कावेरी जल के मुद्दे पर चल रहे विरोध प्रदर्शन को लेकर रजनीकांत से अलग राय रखता हूं. मैं गांधी का अनुयायी हूं और मैंने उन्हीं से विरोध का तरीका सीखा है, जिनको मैंने कभी नहीं देखा.’
सिद्दरमैया ने अलग रुख रखते हैं कुमारस्वामी
कुमारस्वामी से पहले कर्नाटक के पूर्व सीएम सिद्धरमैया लगातार तमिलनाडु को कावेरी का पानी दिए जाने का विरोध कर चुके हैं. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद वह दलील देते रहे हैं कि कर्नाटक के पास तमिलनाडु को देने के लिए कुछ भी नहीं है. रजनीकांत की अपील पर कुमारस्वामी की प्रतिक्रिया से साफ है कि उनका रुख इस मुद्दे पर सिद्धरमैया से बिल्कुल अलग है. कुमारस्वामी ने कहा था, ‘तमिलनाडु को कावेरी का पानी देना तभी संभव होगा, जब कर्नाटक में पानी हो.’
उन्होंने साथ ही कहा था, ‘मैं रजनीकांत को यहां के हालात देखने के लिए न्योता देता हूं. उसके बाद भी अगर आप कहते हैं कि तमिलनाडु को पानी चाहिए, तो हम बैठकर इस पर चर्चा कर लेते हैं.’ लंबे इंतजार के बाद पिछले हफ्ते केंद्र सरकार ने कावेरी जल प्रबंधन अथॉरिटी का गठन किया था. दक्षिण के चार राज्यों के बीच कावेरी नदी के पानी का सही से बंटवारा सुनिश्चित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए आदेश दिया था.