Budget 2018 Income Tax Slab Expectations: 1 फरवरी 2018 को दिन में 11 बजे आम बजट पेश किया जाएगा। सबकी निगाहें इस पर टिकी हुई हैं कि वित्तीय वर्ष 2018-19 के बजट में वित्त मंत्री अरुण जेटली किसके लिए क्या घोषणा करने वाले हैं। यह बजट इसलिए भी खास है कि जीएसटी लागू होने के बाद यह मोदी सरकार का पहला बजट है। सैलरी पाने वालों को मोदी सरकार एक फरवरी की बड़ा तोहफा दे सकती है। सरकार सैलरी पाने वालों को स्टैंडर्ड डिडक्शन में छूट दे सकती है। इसका मतलब है कि इनवेस्टमेंट पर टैक्स में छूट का दायरा बढ़ाया जा सकता है। अभी इनकम टैक्स की धारा 80C के तहत केवल 1.5 लाख रुपए तक की ही टैक्स में छूट ली जा सकती है।
आम बजट में सरकार टैक्स छूट की सीमा बढ़ाने के साथ-साथ टैक्स स्लैब में भी बदलाव कर सकती है। अभी 2.5 लाख रुपए सालाना कमाने वालों से कोई टैक्स नहीं लिया जाता है। अब सरकार इसे 2.5 लाख रुपए से बढ़ाकर 3 लाख रुपए कर सकती है। पांच से दस लाख रुपए की सालाना आय को दस प्रतिशत टैक्स दायरे में लाया जा सकता है, जबकि 10 से 20 लाख रुपए की आय पर 20 प्रतिशत और 20 लाख रुपए से अधिक की सालाना आय पर 30 प्रतिशत की दर से टैक्स लगाए जाने की उम्मीद है। वर्तमान में टैक्स स्लैब के मुताबिक, 2.5 लाख रुपए तक की सालाना आय पर कोई टैक्स लागू नहीं है। वहीं 2.5 से लेकर 5 लाख रुपए तक की सालाना आय पर 5 प्रतिशत टैक्स, 5 से 10 लाख रुपए तक की सालाना आय पर 20 प्रतिशत और 10 लाख रुपए से ज्यादा की सालाना आय पर 30 प्रतिशत टैक्स लिया जाता है।
केंद्र सरकार टैक्स स्लैब के साथ ही प्रत्यक्ष कर (डायरेक्ट टैक्स) में भी बदलाव कर सकती है। आय के लिए सरकार के पास प्रत्यक्ष कर बड़ा स्रोत है। जीएसटी के पहले प्रत्यक्ष कर का योगदान कुल टैक्स कलेक्शन में 52% था। नोटबंदी के बाद लोगों में टैक्स भरने की जागरुकता बढ़ी है और 15 जनवरी तक साल 2017-18 का कुल टैक्स कलेक्शन पिछले साल के मुकाबले 18.7% बढ़कर 6.89 लाख करोड़ पहुंच गया है। डायरेक्ट टैक्स वह टैक्स होता है, जो सीधा व्यक्ति से ही वसूला जाता है। प्रत्यक्ष कर में आम जनता से लेकर कॉरपोरेट दोनों शामिल होते हैं। प्रत्यक्ष कर में इनकम टैक्स, बिजनेस से इनकम पर लगने वाला टैक्स, शेयर या फिर दूसरी संपत्तियों से आय पर लगने वाला टैक्स, प्रॉपर्टी टैक्स आदि शामिल होते हैं।