दशामाता का व्रत चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की दशमी को किया जाता है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से व्यक्ति का बुरा समय दूर हो जाता है तथा अच्छा समय आ जाता है। इस व्रत को आज सोमवार (12 मार्च) को किया जा रहा है। माना जाता है जब व्यक्ति की दशा ठीक होता है तो उसके सभी कार्य सफल होने लगते हैं लेकिन जब व्यक्ति की दशा खराब होती है उसके कार्य में बाधा आने लगती है। इसलिए चैत्र मास की दशमी को दशामाता का व्रत किया जाता है जिससे व्यक्ति के जीवन में चल रहा बुरा समय दूर हो सके। आइए जानते हैं इस व्रत की पूजा विधि और शुभ मुहूर्त –
व्रत पूजा विधि- घर के किसी कोने में साफ सफाई करके एक दीवार पर स्वास्तिक बनाएं। इसके बाद स्वास्तिक के पास 10 बिंदियां बनाएं। पूजा में रोली, मौली , सुपारी, चावल, दीप, नैवेद्य, धुप आदि शामिल करें। इसके अलावा सफेद धागा लें और उसमे गांठ बना लें। फिर उसे हल्दी में रंग लें। इस धागे को दशामाता की बेल कहा जाता है। दशामाता की पूजा के बाद इस धागे को गले में धारण करें। इस धागे को पूरे साल ना उतारें।
अगले साल जब दशामाता की पूजा करें तो पुराने धागे को उतारकर नया धागे धारण करें। दशमाता की पूजा विधि विधान से करने पर मनुष्य का बुरा समय दूर हो सकता है तथा दशमाता की कृपा सदैव बनी रहती है। इसके साथ ही घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
शुभ मुहूर्त –
शुभ चौघड़िया 06:43 से 08:13 तक
अभिजीत मुहूर्त 12:20 से 13:00 तक