Thursday, December 12, 2024
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जानिए क्‍या है वसंत पंचमी का महत्व, क्यों की जाती है मां सरस्वती की पूजा….

SI News Today

हिन्दू पंचांग के अनुसार हर साल माघ महीने में शुक्ल की पंचमी को विद्या और बुद्धि की देवी मां सरस्वती की उपासना होती है. इस पर्व को आम भाषा में वसंत पंचमी कहा जाता है. यह दिन साल के कुछ खास दिनों मे से एक माना जाता है, इसलिए कुछ लोग इसे “अबूझ मुहूर्त” भी कहते हैं. पौराणिक मान्यता है कि जिन लोगों की कुंडली में विद्या और बुद्धि का योग नहीं होता है वह लोग वसंत पंचमी को मां सरस्वती को पूजा करके उस योग को ठीक कर सकते हैं. इसी साल पूरे भारत में वसंत पंचमी 22 जनवरी को मनाई जाएगी.

क्या है वसंत का महत्व
हिंदू मान्यता के अनुसार वसंत का उत्सव प्रकृति का उत्सव है. यौवन हमारे जीवन का बसंत है तो वसंत इस सृष्टि का यौवन है. भगवान श्री कृष्ण ने भी गीता में ‘ऋतूनां कुसुमाकरः’ कहकर ऋतुराज बसंत को अपनी विभूति माना है. शास्त्रों एवं पुराणों कथाओं के अनुसार बसंत पंचमी और सरस्वती पूजा को लेकर एक बहुत ही रोचक कथा है.

पूजा करते वक्त इन बातों का रखें ध्यान

वसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा करते वक्त पीले या फिर सफेद कपड़े पहनने चाहिए.
ध्यान रहे कि काले और लाल कपड़े पहनकर मां सरस्वती की पूजा ना करें.
वसंत पंचमी के दिन माता सरस्वती की पूजा उत्तर दिशा की तरफ मुंह करके करनी चाहिए.
मान्यता है कि मां सरस्वती को श्वेत चंदन और पीले फूल बेहद पंसद है इसलिए उनकी पूजा के वक्त इन्हीं का इस्तेमाल करें.
पूजा के दौरान प्रसाद में दही, लावा, मीठी खीर अर्पित करनी चाहिए.
पूजा के दौरान माँ सरस्वती के मूल मंत्र “ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः” का जाप करें.
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मां सरस्वती की पूजा से होते हैं ये लाभ
मान्यता है कि जिन लोगों में एकाग्रता की कमी हो उन्हें मां सरस्वती की पूजा जरूर करनी चाहिए. ऐसे लोगों को रोजाना एक बार सरस्वती वंदना का पाठ जरूर करना चाहिए. सरस्वती वंदना का पाठ करने से एकाग्रता की कमी की समस्या दूर हो जाती है. पूजा के दौरान मां सरस्वती पेन अर्पित करके उसे पूरा साल यूज करना चाहिए. ऐसा कहा जाता है कि इस पेन में माता सरस्वती का वास होता है जो सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करती है. लेखन के क्षेत्र में करियर बनाने वाले लोगों के लिए कहा जाता है कि उन्हें लिखने से पहले “ऐं” जरूर लिखना चाहिए.

कथा है प्रख्यात
जब भगवान विष्णु की आज्ञा से प्रजापति ब्रह्माजी सृष्टि की रचना करके जब उस संसार में देखते हैं तो उन्हें चारों ओर सुनसान निर्जन ही दिखाई देता था. उदासी से सारा वातावरण मूक सा हो गया था. जैसे किसी की वाणी ना हो. यह देखकर ब्रह्माजी ने उदासी तथा मलिनता को दूर करने के लिए अपने कमंडल से जल लेकर छिड़का. उन जलकणों के पड़ते ही पेड़ों से एक शक्ति उत्पन्न हुई जो दोनों हाथों से वीणा बजा रही थी और दो हाथों में पुस्तक और माला धारण की हुई जीवों को वाणी दान की, इसलिये उस देवी को सरस्वती कहा गया. यह देवी विद्या, बुद्धि को देने वाली है. इसलिये बसंत पंचमी के दिन हर घर में सरस्वती की पूजा भी की जाती है. दूसरे शब्दों में बसंत पंचमी का दूसरा नाम सरस्वती पूजा भी है. मां सरस्वती को विद्या और बुद्धि की देवी माना गया है.

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