कर्नाटक में लिंगायत समुदाय को अलग धर्म का दर्जा देने का सुझाव राज्य सरकार ने मंजूर कर लिया है। यह दर्जा नागभूषण कमेटी के सुझाव और राज्य अल्पसंख्यक कानून के तहत दिया गया है। अब इस प्रस्ताव को अंतिम मंजूरी के लिए केंद्र सरकार के पास भेजा जाएगा। कर्नाटक में अगले दो महीने के अंदर विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में यह फैसला काफी अहम माना जा रहा है।
लिंगायत का राज्य में कितना दबदबा?
– कर्नाटक में लिंगायत करीब 14% हैं। इन्हें अगड़ी जातियों में गिना जाता है।
– 224 सदस्यों वाली राज्य की विधानसभा में 52 विधायक लिंगायत हैं।
फैसले के क्या मायने?
– बीजेपी के मुख्यमंत्री पद के दावेदार बीएस येदियुरप्पा भी लिंगायत हैं ऐसे में पार्टी का इस समुदाय में खासा दबदबा था।
– राज्य की कांग्रेस इस फैसले से येदियुरप्पा का जनाधार कमजोर करना चाहती है।
कौन हैं लिंगायत?
– करीब 800 साल पहले बासवन्ना नाम के समाज सुधारक बासवन्ना थे। उन्होंने जाति व्यवस्था में भेदभाव के खिलाफ आंदोलन छेड़ा था। वेदों और मूर्ति पूजा को नहीं माना। बासवन्ना के विचारों को मानने वालों को ही लिंगायत कहा जाता है।
– लिंगायत अपने शरीर पर गेंद की तरह एक इष्टलिंग बांधते हैं। उनका मानना है कि इससे मन की चेतना जागती है।
– राहुल पिछले महीने उत्तर कर्नाटक के लिंगायत बहुल इलाकों को दौरा करने पहुंचे थे। उनके मठों में भी गए।
– कांग्रेस की कोशिश है कि कर्नाटक में उनके हाथ से सत्ता ने फिसल जाए।