गुजरात हाईकोर्ट ने 2002 के गुजरात दंगों के बहुचर्चित नरोदा पाटिया दंगा मामले आज(20अप्रैल,2018) को अपना फैसला सुना दिया है। कोर्ट ने आरोपी बाबू बजरंगी दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।जिससे अब पूरी जिंदगी बाबू बजरंगी को जेल में ही रहना होगा। अन्य आरोपियों में सुरेश लंगाडो, किशन कोरणी भी दोषी करार दिए गए। कुल दस में से तीन आरोपियों को ही कोर्ट ने बरी किया। जिसमें पूर्व मंत्री माया कोडनानी भी शामिल हैं।
गुजरात हाईकोर्ट की जस्टिस हर्षा देवानी और एएस सुपेहिया की बेंच ने नरोदा पाटिया मामले में बीते साल अगस्त माह में सुनवाई पूरी कर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। जिस पर आज फैसला सुनाया गया। बता दें कि साल 2002 में गुजरात दंगों के दौरान नरोदा पाटिया इलाके में मुस्लिम समुदाय के 97 लोगों की हत्या कर दी गई थी। इस मामले में दंगों की जांच के लिए गठित एसआईटी ने भाजपा नेता और मंत्री माया कोडनानी समेत 51 लोगों को आरोपी बनाया था।
उल्लेखनीय है कि साल 2012 में एसआईटी की स्पेशल कोर्ट ने नरोदा पाटिया मामले में अपना फैसला सुनाते हुए माया कोडनानी समेत 32 लोगों को दोषी ठहराया था। फैसले के तहत माया कोडनानी को उम्रकैद (28 साल) की सजा सुनायी गई थी। वहीं इस मामले में अन्य आरोपी बजरंग दल के नेता बाबू बजरंगी को मृत्यु होने तक उम्रकैद की सजा दी गई थी। इन दोनों के अलावा 7 आरोपियों को 21 साल की सजा दी गई। ये 7 आरोपी आईपीसी की धारा 326 के तहत 10 साल की सजा भी अलग से काटेंगे। इनके अलावा बचे आरोपियों को एसआईटी की स्पेशल कोर्ट ने 14 -14 साल की सजा का ऐलान किया था। वहीं 29 आरोपियों को एसआईटी कोर्ट ने सबूतों के अभाव में रिहा कर दिया था।
एसआईटी कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ आरोपियों ने गुजरात हाईकोर्ट में अपील की। जिसके बाद इस मामले की सुनवाई गुजरात हाईकोर्ट में चली, जिस पर आज फैसला आया है। फिलहाल मामले में आरोपी माया कोडनानी जमानत पर बाहर हैं। बता दें कि एसआईटी कोर्ट ने अपने फैसले में बताया था कि नरोदा पाटिया मामले में माया कोडनानी ही मास्टरमाइंड हैं। हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट के जज मौके पर भी गए थे, ताकि दंगों के हालात को बेहतर तरीके से समझ सकें।