दिल्ली: लेखिका नयनतारा सहगल ने शनिवार को कहा कि फिल्म पद्मावती का विरोध ‘हिंदुत्व’ से प्रेरित है , न कि हिंसा की मनाही करने वाले ‘हिंदूवाद’ से. वह यहां टाइम्स लिटफेस्ट में बोल रही थीं. 90 वर्षीय लेखिका ने कहा कि लोगों को दूसरे लोगों की भावनाओं के बारे में ‘भूल’ जाना चाहिए तथा कला, संस्कृति और साहित्य को फलने-फूलने देना चाहिए. नयनतारा ने कहा कि यदि उन्होंने (लोगों ने) लोगों की भावनाओं के आहत होने की चिंता की होती तो विधवाओं को जलाने और सती प्रथा का कभी खात्मा न हुआ होता.
उन्होंने कहा, ‘‘निर्माताओं और अभिनेत्री (पद्मावती की) को हिंसा की धमकी दी गई है. यह हिंदुत्व है, न कि हिंदूवाद. हिंदूवाद की पहली शिक्षा अहिंसा है.’’ लेखिका ने दावा किया कि हिंदुत्व जहां हिंसा की बात करता है, वहीं हिंदूवाद ठीक इसके उलट शिक्षा देता है. उन्होंने कहा, ‘‘यदि भावनाएं गलत हों तो हमें भावनाओं को आहत करना चाहिए. हम एक अरब से अधिक लोग हैं और हमारी एक अरब से अधिक भावनाएं हो सकती हैं…इसलिए कुछ भावना का हमेशा दूसरी के साथ संघर्ष रहता है.
दादरी में गोमांस रखने के शक में मोहम्मद अखलाक की भीड़ द्वारा की गई हत्या और गौरक्षकों द्वारा पहलू खान की हत्या किए जाने जैसी हिंसा की घटनाओं का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि वे ‘‘असहिष्णुता’’ से परे चले गए. उन्होंने कहा, ‘‘ये हत्याएं हैं.’’ खामोशी कोई विकल्प नहीं है.
लेखिका ने कहा, ‘‘…क्योंकि उन्होंने हमें न बोलने का आदेश दिया है, इसलिए हमने अपने लिए खुले हर आयोजन में बोलने का फैसला किया है.’’ नयनतारा उन 40 लेखकों में शामिल थीं जिन्होंने नरेंद्र दाभोलकर, गोविन्द पानसरे और एमएम कलबुर्गी जैसे तर्कवादियों की हत्या के विरोध में दिसंबर 2015 में साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटा दिए थे.