संसद में कार्यवाही नहीं चलने के कारण एक मंत्री की ओर से सत्तारूढ़ गठबंधन के सांसदों द्वारा 23 दिनों का वेतन छोड़ने की घोषणा के बाद गुरुवार को एनडीए में मतभेद उभर आया. शिवसेना ने कहा है कि इस मुद्दे पर पार्टी बीजेपी के साथ नहीं है जबकि दूसरी सहयोगी रालोसपा ने कहा कि उसे फैसले की जानकारी नहीं है.
केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार ने कहा था कि सत्तारूढ़ एनडीए के सांसद 23 दिन का वेतन नहीं लेंगे. उन्होंने विपक्षी कांग्रेस को संसद के बजट सत्र के दूसरे चरण में कामकाज नहीं होने के लिए जिम्मेदार ठहराया. बजट सत्र के दूसरे चरण में संसद की कार्यवाही के लगातार बाधित रहने को लेकर सरकार को घेरते हुए शिवसेना ने आज कहा कि एनडीए सांसदों के 23 दिन के वेतन छोड़ने के मुद्दे पर वह बीजेपी के साथ नहीं है. दक्षिण पश्चिमी मुंबई से शिवसेना के सांसद अरविन्द सावंत ने हालांकि कहा कि वेतन और भत्ते नहीं लेने के बारे में फैसला करते समय उनकी पार्टी की राय नहीं ली गई थी. उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर शिवसेना ‘बीजेपी के साथ नहीं है.’
सावंत ने कहा, ‘‘उन्होंने फैसला करने से पहले हमसे राय-मशविरा नहीं किया. उन्हें केवल राष्ट्रपति और उप राष्ट्रपति चुनावों के दौरान एनडीए की याद आती है.’’ शिवसेना के 18 सांसद हैं और वह एनडीए का दूसरा सबसे बड़ा घटक दल है. सावंत ने कहा, ‘‘यह वेतन का मुद्दा नहीं है. सांसद के रूप में हमने अपना काम किया. संसद नहीं चलने पर भी हमने अपने लोगों की समस्याओं के समाधान के लिए मंत्रालयों के साथ बैठक की.’’
राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) के प्रमुख और केंद्रीय मंत्री उपेन्द्र कुशवाहा ने कहा कि उन्हें एनडीए सांसदों द्वारा बजट सत्र के दूसरे हिस्से के दौरान 23 दिनों का वेतन नहीं लेने के फैसले की जानकारी नहीं है. उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘मुझे इसकी जानकारी नहीं है. मैं इसके बारे में नहीं जानता हूं.’’
कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक समता पार्टी एनडीए की घटक दल है और लोकसभा में उसके तीन सदस्य हैं. बीजेपी के सुब्रह्मण्यम स्वामी भी वेतन छोड़ने के फैसले के पक्ष में नहीं हैं. उन्होंने कहा कि वह हर दिन राज्यसभा गए और अगर कार्यवाही नहीं हुई तो इसमें उनका कोई दोष नहीं है.