केरल सरकार ने एक अहम फैसला लिया है। अब विभिन्न मामलों में जेल में बंद कैदी भी अपने परिजनों की जान बचा सकेंगे। विधानसभा ने हाल में इस बाबत पेश एक प्रस्ताव को पास कर दिया है। इसके तहत केरल की जेलों में बंद कैदी जरूरत पड़ने पर परिजनों के लिए अंगदान कर सकेंगे। इसके लिए उन्हें जरूरी औपचरिकताओं को पूरा करना पड़ेगा। नए प्रावधान के तहत कैदी द्वारा अस्पताल में बिताए गए वक्त को पैरोल में जोड़ दिया जाएगा। केरल की जेलों में बंद सैकड़ों कैदी इसका लाभ उठा सकते हैं। यह पहला मौका है जब केरल प्रिजन रूल्स में कैदियों के अंगदान का प्रावधान जोड़ा गया है। अंगदान करने के इच्छुक कैदी को मेडिकल बोर्ड से मंजूरी लेनी होगी। मालूम हो कि कन्नूर जेल में बंद पी. सुकुमारन ने अपने परिवार के एक सदस्य को किडनी दान करने के लिए अपील की थी। इससे प्रेरित होकर राज्य सरकार ने जेल नियमों में बदलाव करनेे का फैसला किया।
नए प्रावधान के तहत परिजनों को अंगदान करने वाले कैदियों को इसके लिए उसी कोर्ट से मंजूरी लेनी होगी, जिसने उसे दोषी ठहराया था। ऐसा करने वाले कैदियों के इलाज का खर्च केरल का जेल विभाग उठाएगा। ऐसे कैदियों की निगरानी और उसके खानपान की जिम्मेदारी संबंधित जेल अधिकारियों की होगी। ‘द न्यूज मिनट’ के अनुसार, ऐसे कैदियों को सजा में किसी भी तरह की रियायत नहीं दी जाएगी। कारागार सुधार सेवा की निदेशक आर. श्रीलेखा ने कहा, ‘अंगदान गंभीर मसला है। सरकार ऐसे कैदियों की उस मांग को लेकर भी चिंतित है, जिसके तहत सजा में रियायत या उसे खत्म करने की बात कही गई है। केरल में जेल से जुड़े मौजूदा नियमों में सिर्फ रक्तदान का ही प्रावधान है। रक्तदान करने वाले कैदियों की सजा में हर बार 15 दिनों की छूट प्रदान की जाती है। खासकर दुर्लभ ब्लड ग्रुप होने की स्थिति में विशेष खयाल रखा जाता है।’
विधानसभा द्वारा पारित प्रस्ताव में कैदी को सिर्फ निकट पारिवारिक सदस्यों को ही अंगदान करने की छूट होगी। श्रीलेखा ने बताया कि परिवार के सदस्यों के अलावा किसी दूसरे को अंगदान करने की प्रक्रिया बेहद जटिल है। इसके लिए कैदी के अंगों का संबंधित व्यक्ति से मिलान कराना होगा, जिसके लिए कई बार अस्पताल जाना होगा। इससे जेल प्रशासन को ज्यादा मशक्कत करनी पड़ेगी। ऐसे में परिवार के ही किसी सदस्य के लिए अंगदान करना बेहद आसान है।