Promoting religious feelings and then preparing to play a new game, Udit Raj
#BharatBandh #BJP #UditRaj #HurtFeelings
अभी सवर्ण आंदोलन अपनी प्यास भी नहीं बुझा पाया कि एक बार फिर दलित-हिन्दू का कार्ड खेलने मैदान भाजपा सांसद और ईडियन जस्टिस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष उदित राज ने न सिर्फ गलत बयानबाज़ी की है बल्कि हिंदू धर्म की भावनाओ को ठेस पहुँचाने का जघन्य कृत्य भी किया है। डॉ. उदित राज (राम राज) का जन्म 01 जनवरी 1958 को उत्तर प्रदेश के राम नगर के खटीक (दलित) परिवार में हुआ था। वो सोहलवीं लोकसभा में सांसद हैं। उदित राज के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से 11 सितम्बर 2018 को एक tweet किया गया जो कि इस प्रकार है –
केरल के पद्मनाभ,सबरीमाल और गुरुवायुर मंदिरों के सोने और सम्पत्ति को बेच दिया जाए तो बाढ़ की मार से निकलने के लिए 21 हज़ार करोड़ से पाँच गुणा ज़्यादा है । जनता को सड़कों पर निकल करके माँग करनी चाहिए । मंदिरों में पड़ी हुई सम्पत्ति किस काम की है ?
— Dr. Udit Raj (@Dr_Uditraj) September 11, 2018
जैसा कि आप सभी इस ट्वीट को देख सकते हैं जिसमे मंदिरों में आये भक्तो की श्रद्धा का साफ़ साफ़ मज़ाक उड़ाते और उनकी आस्था को ठेस पहुँचाने के उद्देश्य से भक्तो द्वारा चढ़ाई गयी भेंट को बेच कर उससे केरल में बाढ़ पीड़ितों की मदद की गुहार लगा रहे हैं।
यदि आप जैसे सांसदों को भारत के नागरिकों की इतनी ही चिंता है तो अपने ऊपर होने गैर जरूरी खर्चों को कम करिये, गैर जरूरी हवाई यात्राएं न करिये, कम से कम खर्चों में देश चलाने का दृढ निश्चय कीजिये और सबसे बड़ी बात जब देश के कामगार से लेकर सैनिक तक देशहित में आयकर और अन्य कर देते हैं तो आप लोग देश से अलग तो हैं नहीं।
माननीय उदित राज जी ने शायद एक समुदाय को खुश करने के लिए शायद ऐसा लिखा हो, मगर ये कोई चुनाव प्रचार नहीं बल्कि देश का सबसे गंभीर मुद्दा है। अपने देश के गंभीर मुद्दों का मज़ाक और किसी भी धर्म के मानने वालों की भावनाओं को ठेस पहुँचाने का अधिकार किसी को भी नहीं है।
एक समय था जब उदित राज को संघ परिवार की विचारधारा का धुर विरोधी माना जाता था मगर अपनी पार्टी की विचारधाराओं को दरकिनार कर फ़रवरी 2014 में अपनी पार्टी ईडियन जस्टिस पार्टी का भाजपा में विलय कर दिया।