देश में ताबड़तोड़ हो रहे बैंक घोटाले से सरकार के साथ आमलोग भी सकते में हैं। संसदीय समिति ने बैंकिंग सेक्टर में लगातार हो रही वित्तीय अनियमितता को लेकर आरबीआई के गवर्नर उर्जित पटेल को तलब किया है। समिति ने उन्हें 17 मई को समिति के समक्ष पेश होने को कहा है। सूत्रों का कहना है कि पिछले कुछ महीनों में बैंकिंग घोटाले के ताबड़तोड़ कई मामले सामने आने के बाद आरबीआई के गवर्नर को तलब करने का फैसला किया गया। खबर के अनुसार, वित्त मामलों पर संसद की स्थायी समिति के अध्यक्ष और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता वीरप्पा मोइली ने मंगलवार (17 अप्रैल) को बैंकिंग सेक्टर को लेकर वित्तीय सेवा मामलों के सचिव राजीव कुमार से इस बाबत कई सवाल पूछे। पूर्व प्रधानमंत्री और समिति के सदस्य डॉ. मनमोहन सिंह भी बैठक में मौजूद थे। राजीव कुमार से पूछताछ के बाद उर्जित पटेल को तलब करने का फैसला लिया गया। उनसे हालिया घोटालों और बैंकिंग सेक्टर के विनियमन से जुड़े मसलों पर सवाल-जवाब किया जाएगा। बता दें कि कुछ दिनों पहले ही पीएनबी घोटाला के सामने आने के बाद उर्जित पटेल ने कहा था कि सरकारी बैंकों से निपटने के लिए आरबीआई के पास पर्याप्त शक्ति नहीं है। एक अन्य सूत्र ने बताया कि संसदीय समिति यह जानना चाहती है कि आरबीआई को किस तरह के अधिकारों की जरूरत है।
सरकारी और निजी बैंकों की स्थिति पर हुई चर्चा: स्थायी समिति की बैठक में सरकारी के साथ निजी बैंकों की मौजूदा स्थिति पर भी चर्चा हुई। सूत्रों ने बताया कि बैठक में आईसीआईसीआई बैंक से जुड़े मुद्दों के अलावा सभी वाणिज्यिक बैंकों से जुड़े मामले उठे। संसदीय समिति के समक्ष पेश हुए वित्त मंत्रालय के अधिकारी सभी सवालों का पूरा जवाब नहीं दे सके। इसके बाद समिति ने उन्हें तीन सप्ताह का वक्त देते हुए सभी सवालों पर पूरी रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया।
उर्जित पटेल ने उठाया था आरबीआई के अधिकारों पर सवाल: आरबीआई के गवर्नर उर्जित पटेल ने पिछले महीने पंजाब नेशनल बैंक घोटाले पर अपनी चुप्पी तोड़ते हुए केंद्रीय बैंक के पास कम अधिकार होने की बात कही थी। बैंकिंग घोटाले के बाद आरबीआई पर लगातार आरोप लग रहे थे। गुजरात नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में व्याख्यान देते हुए पटेल ने विनियाम बैंक के पास कम अधिकार होने की बात कही थी। उन्होंने कहा था कि वह नीलकंठ की तरह विषपान करने को तैयार हैं। हालांकि, सरकार ने उनके बयान पर ऐतराज जताया था। केंद्र ने कहा था कि सरकारी बैंकों के विनियमन को लेकर आरबीआई के पास पर्याप्त अधिकार हैं। बता दें कि हीरा करोबारी नीरव मोदी और मेहुल चौकसी ने एलओयू के जरिये पंजाब नेशनल बैंक को 13,000 करोड़ रुपये का चूना लगाया। इसके बाद आरबीआई के निगरानी तंत्र को लेकर गंभीर सवाल उठने लगे थे। हालांकि, पीएनबी घोटाले के बाद देश के कई सरकारी बैंकों में हजारों करोड़ रुपये के लोन घोटाले उजागर हो चुके हैं।