Sarvapalli Radhakrishnan was the priest of simplicity.
#TeacherDay #HappyTeachersDay #Education #SarvepalliRadhakrishnan
हर साल 5 सितंबर को भारत के पहले राष्ट्रपति सर्वेपल्लि राधाकृष्णन के जन्मदिन पर शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है. उनका जन्म 5 सितंबर 1888 को हुआ था. राष्ट्रपति और दो बार उपराष्ट्रपति का पद सुशोभित करने वाले सर्वपल्ली राधाकृष्णन बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी के वर्ष 1939 से 1948 तक वाइस चांसलर भी रहे. 5 सिंतबर को शिक्षक से भारत के राष्ट्रपति तक का पद संभालने वाले डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन की 131वीं जयंति है. आइये आज जानते हैं इनकी कुछ सरलता भरे किस्से –
1957 में भारत के तत्कालीन उपराष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन चीन के दौरे पर गए थे. उस वक्त माओ चीन के प्रसिद्ध नेता थे, माओ ने राधाकृष्णन को मिलने के लिए अपने घर पर आमंत्रित किया. राधाकृष्णन कुछ भारतीय अधिकारियों के साथ माओ से मिलने उनके घर चुग नान हाई पहुंचे. यहां माओ उनकी अगवानी के लिए अपने आंगन में खड़े थे. आंगन में दाखिल होते ही दोनों नेताओं ने आपस में हाथ मिलाया. इसके बाद राधाकृष्णन ने माओ के गाल को थपथपा कर राधाकृष्णन ने माओ से कहा, अध्यक्ष महोदय, परेशान मत होइए. मैंने यही स्टालिन और पोप के साथ भी किया है.
ऐसे ही एक बार राधाकृष्णन और माओ से जुड़ा एक और किस्सा बेहद रोचक है. चीन यात्रा पर जाने से पहले राधाकृष्णन कंबोडिया गए थे. यहां उनके साथ गए सहयोगी की गलती के चलते कार के दरवाजे से राधाकृष्णन की अंगुली की हड्डी टूट गई थी. राधाकृष्णन जब चीन पहुंचकर माओ से मिले तो उनकी नजर अंगुली पर गई. उन्होंने तत्काल अपने डॉक्टर को बुलाकर उनका मलहम-पट्टी कराया.