SC: Sharad Yadav will stay in official residence but will not get allowance!
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (7 जून) को कहा कि जेडीयू के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव बतौर सांसद उन्हें मिलने वाले वेतन, भत्ते और दूसरी सुविधायें नहीं ले सकते लेकिन वह सरकारी बंगले में रह सकते हैं. शरद यादव को राज्य सभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित किया जा चुका है जिसे उन्होंने दिल्ली उच्च न्यायालय में चुनौती दे रखी है. शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय के पिछले साल 15 दिसंबर के आदेश में संशोधन कर दिया है. इसी आदेश में शरद यादव को उनकी याचिका लंबित रहने के दौरान वेतन, भत्ते और दूसरी सुविधायें प्राप्त करने और सरकारी बंगले में रहने की अनुमति दी थी.
न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अवकाशकालीन पीठ ने अपने आदेश में शरद यादव को उच्च न्यायालय के अंतरिम आदेश के अनुसार सरकारी बंगले में रहने की अनुमति दे दी है. शीर्ष अदालत ने राज्य सभा में जेडीयू के सांसद रामचन्द्र प्रकाश सिंह की याचिका पर यह आदेश दिया. सिंह ने उच्च न्यायालय के अंतरिम आदेश को चुनौती दी थी.
इस पर 18 मई को शीर्ष अदालत सुनवाई के लिये तैयार हो गयी थी और उसने शरद यादव को नोटिस जारी किया था. सिंह ने उन्हें अयोग्य करार देने का अनुरोध करते हुये कहा था कि उन्होंने पार्टी के निर्देश का उल्लंघन करते हुये पटना में विपक्षी दलों की सभा में शिरकत की. इस मामले में गुरुवार को सुनवाई शुरू होते ही शरद यादव के वकील ने कहा कि वह अपना वेतन, भत्ता और अन्य सुविधायें छोड़ने के लिये तैयार है, परंतु उन्हें उच्च न्यायालय में लंबित याचिका का निबटारा होने तक सरकारी बंगले में रहने दिया जाये.
पीठ ने यादव के वकील से सवाल किया कि राज्य सभा के सभापति द्वारा उन्हें अयोग्य घोषित किये जाने के बाद उच्च न्यायालय कैसे उन्हें वेतन और भत्तों के भुगतान का निर्देश दे सकता है.
पीठ ने कहा , ‘हम वेतन और भत्ते के भुगतान करने संबंधी उच्च न्यायालय के निर्देश में संशोधन कर रहे हैं. जहां तक सरकारी बंगले का सवाल है तो हम उसे बिन्दु पर कुछ नहीं कह रहे हैं और वह अपनी याचिका लंबित होने के दौरान इसमें रह सकते हैं.’
सिंह की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रंजीत कुमार ने कहा कि उच्च न्यायालय का आदेश संशोधित किया जाना चाहिए क्योंकि उच्च न्यायालय उन्हें वेतन भत्ते का भुगतान करने और नयी दिल्ली में सरकारी आवास में रहने का निर्देश नहीं दे सकता क्योंकि उन्हें पिछले साल चार दिसंबर को राज्य सभा के सभापति ने अयोग्य घोषित कर दिया है. पीठ ने निर्देश दिया कि उच्च न्यायालय की खंडपीठ याचिका पर जुलाई में सुनवाई करे और इस मामले का यथाशीघ्र फैसला करे.
उच्च न्यायालय ने 15 दिसंबर , 2017 के अपने आदेश में शरद यादव को राज्य सभा सांसद के रूप में अयोग्य घोषित किये जाने पर अंतरिम रोक लगाने से इंकार कर दिया था. उच्च न्यायालय ने शरद यादव द्वारा अपनी अयोग्यता को विभिन्न आधार पर चुनौती देने वाली याचिका पर यह अंतरिम आदेश दिया था. यादव का कहना था कि राज्य सभा के सभापति ने चार दिसंबर को उन्हें और एक अन्य सासंद अली अनवर को अयोग्य घोषित करने का फैसला सुनाने से पहले अपना पक्ष रखने के लिये कोई अवसर प्रदान नहीं किया. इन दोनों सांसदों को दल बदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य घोषित किया गया था.
जेडीयू अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा पिछले साल जुलाई में राजद और कांग्रेस के साथ गठबंधन तोड़कर भाजपा से हाथ मिलाने पर शरद यादव विपक्ष के साथ मिल गये थे. शरद यादव 2016 में राज्य सभा के लिये निर्वाचित हुये थे और उनका कार्यकाल जुलाई 2022 तक है जबिक अली अनवर का कार्यकाल अप्रैल में पूरा हो गया.