Shimla water for the hawk! Know the case ...
‘पहाड़ों की रानी’ के नाम से मशहूर शिमला में पिछले 15 दिनों से पानी के लिए हाहाकार की स्थिति है. हालांकि शनिवार को यहां पानी की स्थित में थोड़ा सुधार हुआ है इसकी वजह यहां 2.25 करोड़ लीटर पानी प्रति दिन से बढ़ाकर 2.8 करोड़ लीटर प्रतिदिन कर दिया गया. इसके बावजूद कई क्षेत्रों में कम सप्लाई को लेकर विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं.
शिक्षा विभाग ने पानी की गंभीर समस्या को देखते हुए शिमला के स्कूलों को 4 से 8 जून तक एहतियातन बंद करने का निर्देश दिया है. हालांकि स्कूल मॉनसून की छुट्टियों के दौरान खुले रहेंगे.
न्यूज़ एजेंसी एएनआई ने एक खबर में बताया कि पानी के संकट को लेकर लोग सड़कों पर उतर रहे हैं जिससे सरकार के माथे पर बल पड़ गया है. स्थिति जल्द सुधारने के लिए सरकारी प्रयास तेज कर दिए गए हैं. प्रदेश के अधिकारी गर्मी ज्यादा बढ़ने और दिनोंदिन तालाबों, झीलों के सूखते जाने को अहम कारण बताया है.
पानी की सप्लाई सुचारू बनी रहे, इसके लिए सरकार ने कई कड़े कदम उठाए हैं. अवैध कनेक्शन काटने का काम तेजी से चल रहा है. पीटीआई-भाषा की रिपोर्ट के मुताबिक, पानी सप्लाई में लापरवाही को लेकर स्वास्थ्य मंत्री महिंदर सिंह ने शिमला नगर निगम के एसडीओ को निलंबित कर दिया. सिंह ने कहा कि सरकार अधिकारियों के किसी भी ढील को बर्दाश्त नहीं करेगी और जो लापरवाह पाए जाएंगे, उनके खिलाफ कार्रवाई करेगी.
शहर के लोग शिमला के मेयर, उप मेयर और नगरपालिका आयुक्त के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं. इसी बीच कासुमप्टी, माहली, जीवनु, पांथाघटी और कुछ अन्य कालोनियों ने पानी की कम सप्लाई के विरोध में सड़कें बंद कर दीं. दो दर्जन महिलाएं शिमला के पंप हाउस में लाठी लेकर पहुंच गईं और वहां विरोध प्रदर्शन किया.
एएनआई ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने राज्यपाल और मुख्यमंत्री निवास को छोड़कर कहीं भी पानी की सप्लाई के लिए टैंकरों का उपयोग न करने का आदेश दिया है. ऐसी खबरें आई थीं कि शिमला के कुछ पॉश इलाकों में टैंकरों से पानी सप्लाई की जा रही है.
शिमला में जारी जल संकट के बीच ऐसी खबरें आई हैं कि पैसे वाले लोगों ने अपने-अपने घरों में टैंकरों से पानी मंगवाए, जबकि लोग पानी की पर्याप्त आपूर्ति के लिए सड़कों पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.
इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि शिमला में पानी को लेकर रसूखदार और आम लोगों के बीच स्पष्ट अंतर देखा गया. कद्दावर लोगों को घरों में टैंकर से पानी पहुंचाया गया जबकि गरीब और आम लोग पानी की मांग को लेकर सड़कों पर उतरे दिखे.