Friday, December 13, 2024
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नौं दिनों तक होगी शिव नवरात्रि में महाकाल की आराधना, जानिए…

SI News Today

सनातन धर्म में नवरात्रि को प्रमुख पर्व की संज्ञा दी जाती है। नवरात्रि का प्रमुख त्योहार शक्ति और शिव की उपासना के लिए किया जाता है। शक्ति की उपासना के लिए नवरात्रि वर्ष में चार बार मनाया जाता है। वहीं शिव की उपासना के लिए वर्ष में एक बार महाशिवरात्रि से नौं दिन पहले से शिव नवरात्रि शुरु होते हैं। शैव मतानुसार हर वर्ष फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि से त्रयोदशी की तिथि तक शिव नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। चतुर्दशी के दिन महाशिवरात्रि का उत्सव मनाया जाता है।

नवरात्रि प्रमुख रुप में सभी द्वादश ज्योतिर्लिंगों और अन्य प्रसिद्ध शिवालयों में उत्साहपूर्वक मनाई जाती है। महाशिवरात्रि का पर्व भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह से संबंधित होता है। नौं दिनों तक भगवान का दिव्य रुप से श्रृंगार किया जाता है। शिवजी को दूल्हे के रुप में सजाया जाता है। शिव भगवान की उपासना में हल्दी को वर्जित किया गया है लेकिन विवाह के उत्सव पर उन्हें हल्दी का लेप भी लगाया जाता है। महाशिवरात्रि के दिन शिव और पार्वती के विवाह का आयोजन किया जाता है और उनकी बारात भी निकाली जाती है। रात के समय शुभ काल में विवाह की विधि संपन्न की जाती है।

नवरात्रि की शुरुआत 5 फरवरी 2018 को हुई थी, कल के दिन महाकालेश्वर मंदिर में भगवान शिव को हल्दी, चंदन व केसर से सजा कर चोला और दुपट्टा पहनाया गया था। शिवनवरात्रि के दौरान भगवान शिव के अलग-अलग रुप में दर्शन प्राप्त होते हैं। इस वर्ष
6 फरवरी को शेषनाग।
7 फरवरी को घटाटोप।
8 फरवरी को छबीना।
9 फरवरी को होलकर।
10 फरवरी को मनमहेश।
11 फरवरी को उमा महेश।
12 फरवरी को शिवतांडव रुप।
13 फरवरी को त्रिकाल रुप। इस दिन रात को भगवान शिव को पूर्ण रुप से तैयार करके फूल और फूलों का मुकुट पहनाया जाता है।

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