#ReservationFreeIndia #FreeHealth #FreeEducation @LabourMinistry
प्रश्न संख्या 1- एक विद्यार्थी जो पहले से ही बेरोजगार है और उसे कोई सरकारी सहायता प्राप्त नही है फिर भी वह परीक्षा शुल्क क्यों दे और कहां से दे?
प्रश्न संख्या 2- जब कोई भी प्रतियोगी परीक्षा सरकारी/प्राइवेट स्कूलों में होती है तो उस भवन में ऐसा कौन सा खर्च होता है, जिसके लिए शुल्क दिया जाए?
प्रश्न संख्या 3- यदि विद्यार्थी के शिक्षण शुल्क पर सरकार अपना नियंत्रण रखती है , तो जब उसे रोजगार मिल नहीं जाता तब तक सरकार अपनी जिम्मेवारी पर सारी परीक्षाएं क्यों नहीं आयोजित करती?
प्रश्न संख्या 4- जिस भी विभाग की परीक्षा होती है यह उसकी नैतिक जिम्मेदारी हो कि आगामी परीक्षा के खर्च का भार वह स्वयं वहन करे। फिर परीक्षा का प्रतिभागी परीक्षा शुल्क क्यों भरे जब कि नौकरी मिलना सुनिश्चित नहीं है?
प्रश्न संख्या 5- जब से श्रम एवं रोजगार मंत्रालय व् अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के आयोगों का गठन हुआ है तब से आज तक कुल जमा परीक्षा शुल्क रकम और कुल वास्तविक परीक्षा शुल्क का अनुपात क्या है औऱ बचा हुआ परीक्षा शुल्क का धन सरकार के पास किस मद में जमा है?
प्रश्न संख्या 6- यदि सरकार जात-पात, धर्म और धार्मिक आरक्षण से ऊपर उठकर वाक़ई काम करना चाहती है तो प्रत्येक परीक्षा फॉर्म में इन बातो का कॉलम क्यों बनाया जाता है?
प्रश्न संख्या 7- सरकार आर्थिक आधार पर आरक्षण देकर मुफ्त शिक्षा की व्यवस्था क्यों नहीं करती? जबकि देश मे फैली आधी से ज्यादा परेशानी ( हिंसा, आगजनी, लूट, चोरी , डकैती, हत्या, बलात्कार, पथरबाज़ी…) इसी अशिक्षा की वजह से है।
प्रश्न संख्या 8- और सबसे बड़ा सवाल क्या शिक्षा लेना कोई luxurious आइटम है जिसकी academic और प्रोफेशनल फीस 50,000 से 30 लाख रूपए तक सालाना है और तो और education लोन पर 14-18 % तक ब्याज लगता है जबकि कार लोन 6-8% ही है GST अलग से , क्यों ?
यदि भारत सरकार सिर्फ मुफ्त शिक्षा, मुफ्त स्वास्थ्य सेवायें, आर्थिक आधार पर आरक्षण और Skill-based रोजगार सहायता देना प्रारम्भ कर दे तो हमारा भारत देश बहुत जल्द विकसित देशों की कतार में आ खड़ा होगा. प्रत्येक प्रदेश में परीक्षा शुल्क के नाम पर लिए जाने वाला डिमांड ड्राफ्ट की सरकारी लूट अब बन्द होनी चाहिए।
इस मुहिम में सभी विद्यार्थी शामिल हो इस गलत प्रथा का विरोध करे क्यूंकि आपकी बेरोजगारी का सबसे बड़ा राक्षश यही है।