Supreme Court asks for reply from UP government, why not sued the Yogi?
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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की बढ़ सकती हैं मुश्किलें। जी हां आज से ठीक 11 वर्ष पूर्व भड़काऊ भाषण के चलते इलाहाबाद हाईकोर्ट से राहत पा चुके थे। उत्तर प्रदेश सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने इस कथित भड़काऊ भाषण के मामले में नोटिस जारी करके पूछा है कि आखिर योगी आदित्यनाथ के खिलाफ केस क्यों न चलाया जाए?
आपको बता दे कि सन 2007 में 27 जनवरी को योगी आदित्यनाथ के गृह जनपद गोरखपुर में सांप्रदायिक दंगा हुआ था। जिसमें दो लोगों की मौत हो गई थी व कई लोग घायल भी थे। इस दंगे पर भड़काऊ भाषण देने व दंगे को भड़काने का आरोप मौजूदा सीएम योगी आदित्यनाथ, गोरखपुर की तत्कालीन मेयर अंजू चौधरी, तत्कालीन विधायक राधा मोहन दास अग्रवाल व सांसद पर लगा था।
दरअसल इस मामले में जब हाई कोर्ट ने अपना हाथ डाला था तो उसके बाद आदित्यनाथ सहित बीजेपी के कई अन्य नेताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया गया था। पर पिछले वर्ष ही 2017 में योगी आदित्यनाथ को राज्य सरकार ने अभियुक्त बनाने से यह कहते हुए मना कर दिया था कि उनके खिलाफ कोई साक्ष्य प्रमाण नही नही है। इतना ही नही इलाहाबाद हाईकोर्ट से भी उन्हें राहत मिली हुई है। वहीं अब इस मामले में याचिका दायर कर दी गई है और सीएम योगी व बीजेपी के अन्य नेताओं पर मुकदमा चलाने व सीबीआई जांच कराने की मांग की गई थी। इसी वर्ष फरवरी में जस्टिस एसी शर्मा की डिवीजन बेंच व जस्टिस कृष्ण मुरारी ने इस याचिका को खारिज कर दिया था।
वहीं अब यह मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया है। जिसके चलते सुप्रीम कोर्ट ने योगी आदित्यनाथ के खिलाफ भड़काऊ भाषण के आरोप में केस क्यों नही चलाया जाए पर यूपी सरकार से जवाब मांगा है।