विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने गुरुवार (5 अप्रैल) को कहा कि आतंकवाद अंतरराष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा के लिए सबसे बड़े खतरों में एक है और यह विकास लक्ष्यों को हासिल करने की क्षमता को कमजोर कर देता है. यहां गुट निरपेक्ष देशों की 18 वीं मध्यावधि मंत्रिस्तरीय बैठक को संबोधित करते हुए सुषमा ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधारों पर भी जोर दिया. उन्होंने कहा कि काफी समय से लंबित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार के बगैर इस वैश्विक संस्था में सुधार करने की कोशिश पूरी नहीं होगी.
विदेश मंत्री ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए आतंकवाद सबसे बड़े खतरों में एक है. उन्होंने कहा कि यह हमारे नागरिकों को अपना शिकार बनाता है और विकास लक्ष्य पूरा करने की हमारी क्षमता को कमजोर कर देता है. बैठक की अध्यक्षता वेनेजुएला के विदेश मंत्री जार्ज एरीयजा ने की.
सुषमा ने कहा कि 1996 में भारत ने अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर एक व्यापक समझौते( सीसीआईटी) का प्रस्ताव किया था, ताकि मौजूदा कानूनी ढांचे को मजबूत किया जा सके. दो दशक बाद भी इस चर्चा ने काफी कम प्रगति की है जबकि आतंकवादियों ने अपनी हरकतें जारी रखी हैं.
सुषमा ने कहा कि प्रथम कदम के तौर पर हमें सीसीआईटी को अंतिम रूप देने के अपने संकल्प का नवीकरण करना चाहिए. गुट निरपेक्ष देशों को इस लक्ष्य के प्रति वैश्विक समुदाय को अवश्य ही प्रेरित करना चाहिए. उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र महासभा की आखिरी उच्च स्तरीय बैठक में इस वैश्विक संस्था में सुधार के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने मजबूत इच्छा जाहिर की थी. उन्होंने कहा कि तारीख में अंतर सरकारी वार्ता प्रक्रिया अहम विषयों पर बातचीत के लिए एक विश्वसनीय सामूहिक प्रक्रिया में सावधानीपूर्वक आगे बढ़ी है.
सुषमा ने कहा कि वक्त आ गया है कि अगले चरण में पहुंचा जाए और लिखित आधार पर चर्चा की जाए, जिसकी मांग ज्यादातर गुटनिरपेक्ष देशों सहित संयुक्त राष्ट्र के अधिकांश सदस्य देशों ने की है. उन्होंने कहा कि फिलीस्तीन को भारत का समर्थन हमारी विदेश नीति का एक अहम संदर्भ बिंदु है. इस मोड़ पर गुटनिरपेक्ष देशों के लिए यह अच्छा होगा कि वे फलस्तीनी अवाम के प्रति एकजुटता जाहिर करें.
विदेश मंत्री ने कहा कि परमाणु प्रसार, सशस्त्र संघर्ष, शरणार्थी संकट, आतंकवाद, गरीबी और पर्यावरण चिंता जैसी चुनौतियों का हम सामना कर रहे हैं. इन सबके लिए और अधिक प्रभावी बहुपक्षीय कोशिशों की जरूरत है. समय में गुट निरपेक्ष आंदोलन कहीं अधिक प्रासंगिक है.
उन्होंने कहा कि साल 2015 में हमने सतत विकास लक्ष्यों( एसडीजी) को अपनाया था ताकि हम उन विकास चुनौतियों का हल प्राप्त कर सकें जिनका हम सामना कर रहे हैं. इसलिए, विकास के लिए वित्त प्रदान करना गुटनिरपेक्ष देशेां के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा कि पृथ्वी के पर्यावरण का संरक्षण एक नैतिक जिम्मेदारी है. सुषमा ने कहा कि ऊर्जा के किफायती स्रोतों को तलाशना हमारे एसडीजी लक्ष्यों को हासिल करने में महत्वपूर्ण होगा. उन्होंने कहा कि भारत परमाणु हथियारों के वैश्विक खात्मे के साझा लक्ष्य के प्रति प्रतिबद्ध बना हुआ है.