The government is despoilment the pocket of the customers on the name of Digital India
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जेबकतरी के इस नए तरीके से काटी जा रही है आपकी जेब। जी हां यह नया काम कहीं और नही बल्कि पेट्रोल पंप में ही शुरु किया गया है। और आपको तो इस बात की कानो कान खबर भी नही लगी होगी। दरअसल बात ये है कि अगर आप पेट्रोलपंप पर पेट्रोल या डीजल भरवाते हैं और उसका भुगतान अपने कार्ड से करते हैं तो आप इस बात को जान लीजिए कि इस पर अब आपको कैशबैक मिलेगा। दरअसल डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए पेट्रोलपंपों पर कैशबैक योजना में कटौती शुरु की कर दी गई है। जिसके चलते पेट्रोल व डीजल भराने वाले ग्राहकों को अब 0.75 प्रतिशत की जगह 0.25 प्रतिशत की छूट डिजिटल भुगतान के पश्चात ही मिलेगी। और यह जानकारी कहीं और से नही बल्कि इस मामले से जुड़े लोगों के द्वारा ही मिली है।
हालांकि 13 दिसंबर 2016 को डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए पेट्रोल व डीजल खरीदने पर 0.75 प्रतिशत छूट क्रेडिट कार्ड, प्लास्टिक मनी व डेबिट कार्ड से भुगतान करने पर दी जाती थी। और यह छूट कैशबैक के जरिये भुगतान करने के बाद से तीन दिनों के अंदर ही मितली थी, जी हां जो भी छूट की राशि होती थी वह सीधे उपभोक्ताओं के खाते में डाली जाती थी। वहीं अब तेल कंपनियों ने इस छूट को कम करके 0.75 प्रतिशत से 0.25 प्रतिशत कर दी है और पेट्रोलपंप के परिचालकों को सूचना देकर बता रही है। इतना ही नही पेट्रोल पंप परिचालकों के मोबाइल फोन पर भी एसएसएस भेजकर तेल कंपनियों ने कहा है कि इससे ग्राहकों को भी रूबरू किया जाए।
आपको बता दे कि डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए पेट्रोल पंपों पर कैशबैक योजना में कटौती 1 अगस्त 2018 से ही लागू कर दी गई है। वहीं पहले जब ग्राहकों को मोबाइल वालेट, डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड या ई-वालेट के द्वारा पेट्रोल लेने पर 0.75 प्रतिशत यानी कि 57 पैसा प्रति लीटर की छूट और डीजल लेने पर और डीजल लेने 50 पैसे प्रति लीटर की छूट मिलती थी। वही छूट अब कम कर दी गई है। गौरतलब है कि पहले प्रति लीटर पेट्रोल में 57 पैसे की छूट मिलती थी वही अब 19 पैसे की मिल रही है और पहले प्रति लीटर डीजल मे 50 पैसे की छूट मिलती थी उसको अब कम करके बस 17 पैसे प्रति लीटर कर दी गई है। 8 नवंबर 2016 को जब प्रधानमंत्री ने 500 व 1,000 रुपये के चल रहे नोटों को बंद करने की घोषणा की थी तो उसके एक ही महीने बाद विभिन्न प्रकार की छूट भी इसलिए की गयी ताकि डिजिटल भुगतान को बढ़ावा मिल सके। उसी समय बताया गया था कि रोज 1,800 करोड़ रुपये का पेट्रोल उस समय 4.5 करोड़ लोग खरीदते थे। डिजिटल भुगतान नोटबंदी के एक महीने बाद ही दोगुना हो गया। उस समय तो नकदी भुगतान 40 प्रतिशत हो गया था लेकिन जैसे ही अर्थव्यवस्था में नगदी आया तो डिजिटल भुगतान कम हो गया।