जहां आधुनिक चमक दमक में लाखों रुपये लोग शादियों में खर्च कर रहे है वहीं मध्यप्रदेश के धार जिले के ग्राम कोणदा के युवा परम्परागत तरीके से शादी कर अनावश्यक खर्च पर अंकुश लगाते हुए गोवंश ओर पर्यावरण सरंक्षण का संदेश दिया। जी हां, यहां पर एक दूल्हे ने अपनी बारात को बैलगाड़ी पर निकाला। संगीत शिक्षक दूल्हे मयूर भायल ने बताया कि हिन्दू धर्म मे गाय को माता समान पूजते है और उसकी संतान बैल भी हमारे खेतो में कृषि कार्य मे उपयोगी है मेरे निजी वाहन बोलेरो को छोड़ कर ,परंपरा को ध्यान में रखते हुए मेरी बारात बैलगाड़ी पर ले जाने का दृढ़ निश्चय किया।
किसान मोर्चा जिलामंत्री व दूल्हे के पिताजी जगदीश भायल ने बताया कि बारात 2 किमी दूर ग्राम दोगावा में गोपाल परिहार के यंहा पंरपरागत तरीके से बैलगाड़ी पर ले गए। जिसमे 10 बैलगाड़ी सुसज्जित करके भगवा पताका के साथ बारात निकाली गयी। ढोल पर बड़ी संख्या में बाराती झूमते हुये बैलगाड़ी के साथ चल रहे थे। बैलगाड़ी पर बारात निकलने से आसपास के गांवों वालो ने दूल्हे की इस पहल को सराहा ओर प्रेरणादायी कहा है।
इससे पहले राजस्थान में एक दुल्हन ने भी अपनी शादी के दौरान भी ऐसा कुछ किया था जिसके चलते वह सुर्खियों में आई थी। राजस्थान के झुनझुनु जिले के नवलगढ़ में उस वक्त लोग चौंक गए, जब उन्होंने एक लड़की को घोड़े पर बैठे देखा। दरअसल लड़की शादी से पहले होने वाली एक रस्म बनदोरी के लिए घोड़े पर बैठी थी। आमतौर पर लड़की इस रस्म के दौरान घोड़े पर बैठता है। बता दें कि घोड़े पर बैठने वाली दुल्हन नेहा खिचर है, जो कि आईआईटी ग्रेजुएट है और फिलहाल इंडियन ऑयल की मथुरा रिफाइनरी में अधिकारी के पद पर तैनात है। शादी से पहले होने वाली बनदोरी रस्म के लिए नेहा के परिजनों ने उसे घोड़े पर बैठाया। नेहा के परिजनों का कहना है कि उन्होंने ऐसा समाज में यह संदेश देने के लिए किया कि लड़का और लड़की समान हैं। हालांकि इससे पहले भी कई दूल्हा-दुल्हन कई तरह के अनोखे कारनामे करके सुर्खियों आए हैं।