चुनाव आयोग द्वारा आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों की सदस्यता रद्द करने के फैसले को कवि डॉ कुमार विश्वास ने दुर्भाग्यपूर्ण बताया है. AAP द्वारा राज्यसभा टिकट ना दिए जाने के बाद से बगावती तेवर अपना चुके पार्टी के संस्थापक सदस्य ने एक दिन बाद इस मामले में अपनी प्रतिक्रिया दी है. कुमार विश्वास का कहना है कि पार्टी में उन्होंने कई बार ऐसे विषयों को उठाने की कोशिश की थी लेकिन उनकी बातों को दरकिनार कर दिया जाता था. कुमार विश्वास ने अपने बयान में लाभ के पद को लेकर कहीं भी 20 विधायकों के खिलाफ कुछ नहीं बोला. इस मामले पर बोलते हुए भी उनके निशाने पर सीधा-सीधा पार्टी आलाकमान और सीएम अरविंद केजरीवाल थे.
डॉ कुमार विश्वास ने मीडिया से बात करते हुए कहा, ’20 विधायकों पर हुई कार्रवाई दुर्भाग्यपूर्ण और दुखद है, मैंने को पहले पार्टी को कुछ सुझाव दिए थे. लेकिन मुझे यह कहकर चुप करा दिया गया कि संसदीय सचिवों की नियुक्ति मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है. ‘
कुमार विश्वास ने अपनी पार्टी द्वारा उन्हें दरकिनार करते हुए राज्यसभा के लिए संजय सिंह, सुशील गुप्ता, एनडी गुप्ता को भेजने पर सीएम अरविंद केजरीवाल पर निशाना साधा था. विश्वास ने कहा था, पिछले कुछ समय से अरविंद केजरीवाल के कई निर्णय चाहें वो सर्जिकल स्ट्राइक हो, चाहें आंतरिक भ्रष्टाचार से आंख फेरना हो, चाहे पंजाब में अतिवादियों के प्रति सॉफ्ट रहना हो, टिकट वितरण में गड़बडी का मामला हो, कार्यकर्ताओं की उपेक्षा हो, चाहे सैनिकों का विषय हो या जेएनयू का विषय हो, मैंने जो-जो सच बोला आज उसका पुरस्कार मुझे दंड स्वरूप दिया गया. इसके लिए मैं स्वयं का आभार व्यक्त करता हूं.
उन्होंने कहा था. ‘मैं ये मानता हूं कि ये नैतिक रूप से एक कवि की, एक मित्र की, एक सच्चे आंदोलनकारी और क्रांतिकारी की जीत है. मैं पिछले 40 वर्ष से मनीष सिसोदिया, 12 वर्ष से अरविंद केजरीवाल, 7 साल से कार्यकर्ताओं के साथ काम कर रहे और पांच साल से लगातार पार्टी के हर विधायक के साथ रैलियां कर-करके, ट्वीट कर करके, मीडिया में बहस कर करके जिन्होंने पार्टी को आज खड़ा किया है, ऐसे महान क्रांतिकारी, आंदोलनकारियों की आवाज सुशील गुप्ता को राज्यसभा में भेजने के लिए अरविंद केजरीवाल ने चुना है. इसके लिए मैं अरविंद जी को बधाई देता हूं.’
गौरतलब है कि 19 जनवरी को चुनाव आयोग ने आम आदमी पार्टी को बड़ा झटका देते हुए लाभ के पद के मामले में आप के 20 विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया और इस बाबत चुनाव आयोग ने अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को भेज दी. आपको बता दें कि इन विधायकों को संसदीय सचिव बनाए जाने के बाद से ही इनकी सदस्यता पर खतरा मंडरा रहा था.
अब राष्ट्रपति के फैसले पर नजर
अगर राष्ट्रपति इस फैसले पर अपनी मुहर लगा देते हैं, तो ऐसे में आम आदमी पार्टी के इन 20 विधायकों की सदस्यता रद्द हो जाएगी. हालांकि अभी इनके पास सुप्रीम कोर्ट में दरवाजा खटखटाने का रास्ता बना हुआ है. हालांकि चुनाव आयोग ने कहा है कि आप विधायकों पर सिफारिश विचाराधीन है, राष्ट्रपति को क्या सिफारिश भेजी गई है, हम इस पर अभी टिप्पणी नहीं करेंगे.
मुख्य चुनाव आयुक्त पर आप ने साधा निशाना
आप विधायक सौरभ भारद्वाज ने मुख्य चुनाव आयुक्त अचल कुमार जोति पर निशाना साधते हुए कहा, ’23 जनवरी को मुख्य चुनाव आयुक्त जोति साहब का जन्मदिन है, उस दिन वो 65 साल के हो जाएंगे, 65 साल के बाद वे मुख्य चुनाव आयुक्त नहीं रहेंगे, इस मामले की तीन लोगों ने सुनवाई की थी, 2 लोगों ने अपने आप को अलग कर दिया है.
उन्होंने कहा, ‘जब माननीय उच्च न्यायलय ने यह कह दिया था की ये लोग संसदीय सचिव थे ही नहीं तो उस पर चुनाव आयोग जांच कैसे कर सकता है, चुनाव आयोग जैसे संवैधानिक संस्थान को गिरवी रखकर मुख्य चुनाव आयुक्त ज्योती मोदी जी का कर्ज चुका रहे हैं.
हमारे विधायकों को बात रखने का मौका नहीं मिला : आप
आप नेता और विधायक सौरभ भारद्वाज ने कहा कि ‘पुरे विश्व में कई भी कोई जांच होती है तो उनके नियम में भी लिखा होता है की जिस पर भी आरोप हो उन्हें भी अपनी बात रखने का मौक़ा मिलेगा, चुनाव आयोग ने आज तक हमारे विधायकों को अपना पक्ष रखने का कोई मौका नहीं दिया’.
उन्होंने कहा कि “क्या कभी इन विधायकों के क्षेत्र में किसी ने देखा हो की इनके पास सरकारी गाड़ी है, सरकारी बंगला है या किसी का बैंक स्टेटमेंट देखा है ? “लाभ के पद में जब कोई लाभ हुआ ही नहीं है तो लाभ के पद के आरोप में जनता के चुने प्रतिनिधियों को हटाना गलत है. उन्होंने कहा कि 21 विधायकों की विधानसभा में 1 करोड़ लोग रहते हैं, अगर इन लोगों में से कोई भी आकर कह दे की इन विधायकों ने बंगला और गाड़ी ली है तो नैतिक जिम्मेदारी बनती है.
खबरों के मुताबिक उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को भेजी गई अपनी राय में चुनाव आयोग ने कहा है कि संसदीय सचिव बनकर वे लाभ के पद पर हैं और दिल्ली विधानसभा के विधायक के तौर पर अयोग्य घोषित होने योग्य हैं.