The story that touches the heart of the pen from becoming a famous comedian
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ऐसा कहा जाता है कि जब हंसने का मौका मिले तो खूब हंसना चाहिए क्योंकि इससे सस्ती कोई भी दवा दुनियां में है नहीं। इस तनाव भरी जिंदगी में सबसे ज्यादा आगर किसी चाज की जरूरत है तो वो है हंसी। क्योंकि जब आप हंसते हो तो उस समय आप अपनी सारी परेशानियों को भूल जाते हो। हां वो बात और है कि जितना आसान हँसना होता है उससे कई ज्यादा मुश्किल हंसाना होता है। और आगर आप किसी को हंसा लेते हो तो ये आपकी सबसे बड़ी कला है। जो कि मनोरंजन का एक हिस्सा भी है। पहले सर्कस के जरिये लोगों को मनोरंजन होता था। फिर उसके बाद टीवी आई जिसके जरिये लोगों का खूब मनोरंजन होने लगा।
टीवी को आने के बाद दुनियां में कई बड़े-बड़े कॉमेडियन पैदा हुए और उन्होंनें लोगो को हँसना सिखाया। ऐसे ही बॉलीवुड में एक कॉमेडियन हैं जिन्होंने भारत के सभी दर्शकों को हंसाने के लिए खूब मेहनत की। तो आइये दोस्तों आज हम आपको बताते हैं भारत के मशहूर स्टैंडअप कॉमेडियन जॉनी लीवर के बारे मे।
भले ही बॉलीवुड में एक से बढकर एक कॉमेडियन आए पर अगर हम सबसे पहले स्टैंडअप कॉमेडियन की बात करते हैं तो हमारे जहन में सबसे पहले जो नाम आता है वो है जॉनी लीवर का। क्या आप जानते हैं कि 14 अगस्त 1956 को इसाई परिवार में जन्म वाले जॉनी लीवर का असली नाम जॉन प्रकाश राव है। बॉलीवुड में मिमिक्री से शुरुआत करने वाले जॉनी लीवर ने धीरे-धीरे करके इतनी ज्यादा मेहनत की है कि आज वो बॉलीवुड के एक हास्य कलाकार जाने जाते है जिन्हें अब तक 13 फिल्मफेयर अवार्ड भी मिल चुके है। 350 से भी ज्यादा फिल्मो में काम करने वाले जॉनी लीवर के संघर्ष व मेहनत को तो इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि आज उन्हें एक कॉमेडियन के रूप में स्वीकारा गया है।
मुंबई जैसे शहर में अपना सपना पूरा करना तो ऐसे भी मुश्किल होता पर तब और मुश्किल हो जाता है जब परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत न हो। ऐसा ही कुछ हुआ था जॉनी लीवर के साथ। घर में दो भाई व तीन बहनो में सबसे बड़े होने के चलते उनके पास जम्मेदारियां भी बहुत थी। जिसकी वजह से उन्होंने आन्ध्रा एजुकेशन सोसाइटी हाई स्कूल में अपनी पढाई शुरू की व सातवी कक्षा के बाद स्कूल छोड़ कर काम के लिए मुंबई आ गए। जिसके बाद उन्होंने बॉलीवुड के गानों पर लोगो का मनोरंजन कर पैन बेचना शुरु कर दिया। जॉनी लीवर के पिता प्रकाश राव जानुमाला ने उन्हें अपने साथ हिंदुस्तान यूनिलीवर की फैक्ट्री में काम पर लगवा दिया। पर वहां भी उन्होंने लोगो व अपने साथियों का मनोरंजन कर दिल जीत लिया और उनके साथियों ने ही उन्हें जॉनी लीवर नाम दिया।
जॉनी लीवर के हुनर के किसी और ने नही बल्कि उनके अंदर के मिमिक्री कलाकार को प्रताप जैन व राम कुमार ने पहचाना। जिसके बाद उन्होंने जॉनी लीवर को स्टेज शो पर काम करने का मौका दिया। और जैसे ही जॉनी लीवर के हांथ ये मौका लगा वैसे ही उन्होंने वहां पर अपनी कॉमेडी का जादू चला दिया। जिसके बाद तो उन्हें 1982 में मशहूर संगीतकार कल्यानजी-आनंदजी व अमिताभ बच्चन के साथ स्टेज साझा करने का मौका मिला। कुछ ऐसे ही हुआ कि एक स्टेज शो के दौरना सुनील दत्त ने जॉनी लीवर के टैलेंट को जब जाना तो उन्होंने अपनी फिल्म दर्द का रिश्ता में जॉनी लीवर को एक रोल दिया। और फिर उसके बाद तो उन्हें कई छोटे मोटे रोल मिलते गए। सिर्फ इतना ही नही उसी दौरान उन्होंने एक ऑडियो कैसेट कम्पनी के लिए भी काम किया जो हंसी के हंगामे नाम का कार्यक्रम बनाते थे और ये कार्यक्रम देश ही नही बल्कि विदेशो में भी हिट रहा।
जहां एक तरफ जॉनी लीवर स्टेज व फिल्मो में कई छोटे-छोटे रोल कर चुके थे पर वहीं उन्होंने कोई बड़े बजट की फिल्म नही की थी। जब उन्होंने एक कार्यक्रम में हिस्सा लिया जिसमें बॉलीवुड के बड़े बड़े सितारे व निर्देशक आये हुए थे। और जब वहां पर उन्होंने अपनी कला का प्रदर्शन किया तो निर्देशक गुल आनंद ने उन्हें फिल्म जलवा के लिए रोल ऑफर किया। फिल्म जलवा की सफलता के बाद तो उन्होंने स्वयं को एक हास्य कलाकार ही बना लिया। फिर तो उन्हें कई बड़ी फल्मो में काम मिलने लगा।
इसमे कोई दो राय नही है कि पैन बेचने से लेकर एक बेस्ट कॉमेडियन बनने तक का सफर जॉनी लीवर के लिए आसान तो जरा सा भी नही रहा होगा पर उनकी मेहनत व कलाकारी ने आज उन्हें इस मुकाम पर पहुंचा दिया है कि वे आर्टिस्ट असोसिएशन के प्रेसिडेंट के साथ-साथ मिमिक्री आर्टिस्ट असोसिएशन मुंबई के अध्यक्ष भी हैं। इतना ही नही जॉनी लीवर लगभग 190 करोड़ की सम्पति के मालिक भी है।