These laws have been made about the protection of animals in India.
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हमारे भारतीय संविधान के अनुच्छे 51(A) के मुताबिक हर जीवित प्राणी के प्रति सहानुभूति रखना भारत के हर नागरिक का कर्तव्य है. स्लॉटरहाउस रूल्स 2001 के मुताबिक देश के किसी भी हिस्से में पशु बलि देना गैरकानूनी है.
प्रिवेंशन ऑफ क्रुएलिटी ऑन एनिमल्स एक्ट और फूड सेफ्टी रेगुलेशन के नियमानुसार-
किसी भी पशु को सिर्फ बूचड़खाने में ही काटा जा सकता है. वही बीमार और गर्भ धारण कर चुके पशु को मारा नहीं जा सकता. भारतीय दंड संहिता की धारा 428 और 429 के मुताबिक किसी पशु को मारना या अपंग करना, भले फिर आवारा क्यों न हो, दंडनीय अपराध है.
प्रिवेंशन ऑफ क्रूएलिटी ऑन एनिमल्स एक्ट 1960 के मुताबिक किसी पशु को आवारा छोड़ने पर तीन महीने की सजा का प्रवधान है.
वाइल्डलाइफ एक्ट के तहत बंदरों को कानूनी सुरक्षा दी गई है. कानून कहता है कि बंदरों से नुमाइश करवाना , उन्हें कैद में रखना गैरकानूनी है. वही इस नियम के तहत कुत्तों को दो श्रेणियों में बांटा गया है. पालतू और आवारा. कोई भी व्यक्ति या स्थानीय प्रशासन पशु कल्याण संस्था के सहयोग से आवारा कुत्तों का बर्थ कंट्रोल ऑपरेशन कर सकती है. पर उन्हें मारना गैरकानूनी है.
जानवर को ढंग से खाना, पानी, शरण देने से इनकार करना और लंबे समय तक बांधे रखना दंडनीय अपराध है. इसके लिए जुर्माना या तीन महीने की सजा या फिर दोनों हो सकता है.
पशुओं को लड़ने के लिए भड़काना, ऐसी लड़ाई का आयोजन करना या उसमें हिस्सा लेना अपराध है.
पीसीए एक्ट के सेक्शन 22(2) के मुताबिक भालू, बंदर, बाघ, तेंदुए, शेर और बैल को मनोरंजन के लिए ट्रेन करना और इस्तेमाल करना गैरकानूनी है.
ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक रूल्स 1945 के मुताबिक जानवरों पर कॉस्मेटिक्स का परीक्षण करना और जानवरों पर टेस्ट किये जा चुके कॉस्मेटिक्स को आयात करने पर रोक है.
चिड़ियाघर और उसके परिसर में जानवरों को चिढ़ाना, खाना देना या तंग करना दंडनीय अपराध है. पीसीए के तहत ऐसा करने वाले को तीन साल की सजा, 25 हजार रुपये का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं.
मोटर व्हीकल एक्ट और पीसीए एक्ट के तहत पशुओं को असुविधा में रखकर, दर्द पहुंचाकर या परेशान करते हुए किसी भी गाड़ी में एक जगह से दूसरी जगह ले जाना दंडनीय अपराध है.
पंछी या सरीसृप के अंडों को नष्ट करना या उनसे छेड़छाड़ करना या फिर उनके घोंसले वाले पेड़ को काटना या काटने की कोशिश करना शिकार कहलाएगा. इसके दोषी को सात साल की सजा या 25 हजार रुपये का जुर्माना या दोनों हो सकता है.
जंगली जानवर को पकड़ना, फंसाना, जहर देना या लालच देना दंडनीय अपराध है. इसके दोषी को सात साल की सजा या 25 हजार रुपये का जुर्माना या दोनों हो सकता है.