This formula of peace accorded to the BJP in Maharashtra by Shivsena!
कभी भाजपा की सबसे कट्टर सहयोगी मानी जाने वाली शिवसेना और भाजपा के रिश्ते किसी भी विपक्षी पार्टी से ज्यादा कड़वाहट भरे हो चुके हैं. सरकार में सहयोगी होने के बावजूद शिवसेना भाजपा पर हमले का कोई मौका नहीं छोड़ती है. महाराष्ट्र में पिछले विधानसभा चुनावों के बाद दोनों पार्टियों के रिश्ते बिगड़ते ही चले गए. नोटबंदी हो या जीएसटी या फिर उप चुनावों में मिली हार. शिवसेना और उसके मुखिया उद्धव ठाकरे ने भाजपा पर जमकर तीखा हमला बोला. यहां तक कि शिवसेना ने बोल दिया कि वह अपने अगले सभी चुनाव अकेले ही लड़ेगी.
दोनों पार्टियों के बीच आई खाई के बीच कुछ दिन पहले भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने उद्धव ठाकरे से मुलाकात की. हालांकि इसके बाद भी शिवसेना की ओर से कहा गया कि वह अकेले ही चुनाव में जाएगी. टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक अब सूत्रों के हवाले से खबर आ रही है कि मातोश्री में जब अमित शाह और उद्धव ठाकरे की मुलाकात हुई तो भाजपा अध्यक्ष की ओर से शिवसेना प्रमुख को ये कहा गया कि वह जल्द ही फिर से गठबंधन के ऊपर बातचीत के लिए मिलेंगे. उसी समय शिवसेना की ओर से सुलह के लिए एक फॉर्मूला दिया गया.
महाराष्ट्र में अपना सीएम चाहती है शिवसेना
कहा जा रहा है कि ये दोनों नेता जब मिले थे, तो शिवसेना अध्यक्ष ने अमित शाह के सामने अगले विधानसभा चुनावों के लिए 152 सीटें मांग लीं. इसके साथ ही अपने लिए सीएम पोस्ट का वादा भी मांगा है. 288 सीटों वाली महाराष्ट्र विधानसभा के लिए शिवसेना अब 152 सीटें चाहती है ताकि मुख्यमंत्री पद पर वह अपने व्यक्ति को बिठा सके. इसका अर्थ होगा कि भाजपा और दूसरे सहयोगियों के लिए सिर्फ 136 सीटें बचेंगी.
हालांकि अभी ये तय नहीं है कि क्या शिवसेना और भाजपा एक साथ मिलकर लोकसभा चुनाव लड़े और बाद में विधानसभा चुनाव में साथ साथ जाएंगीं. हालांकि शिवसेना की ओर से कहा जा रहा है कि अगर उसने ऐसा किया तो ये बड़ी भूल होगी. अगर भाजपा की लोकसभा चुनावों के बाद सत्ता में वापसी हो जाती है तो वह फिर से महाराष्ट्र में अकेले चुनाव लड़कर सत्ता हथिया सकती है.
वहीं भाजपा की बात करें तो पार्टी सूत्रों के अनुसार, वह विधानसभा चुनावों में शिवसेना को 130 से ज्यादा सीटें नहीं दे सकती. शिवसेना के साथ बातचीत असफल रहने पर पार्टी अध्यक्ष अपने विधायकों और सांसदों से अकेले चुनावों में जाने के लिए कह सकते हैं.
अपनी ताकत बढ़ाना चाहती है शिवसेना
शिवसेना के अंदरूनी सूत्रों की मानें तो पार्टी नेता का कहना है कि विधानसभा चुनावों में पार्टी अपनी ताकत फिर से पाना चाहती है. पार्टी नेता का कहना है, ‘उद्धवजी ने अमित शाह से साफ कह दिया है कि शिवसेना तभी गठबंधन करेगी, अगर भाजपा 152 सीटें देने के लिए राजी होगी.’
विधानसभा चनावों में बिगड़ी बात
2014 में महाराष्ट्र की 48 लोकसभा सीटों पर भाजपा और शिवसेना गठबंधन साथ में लड़ा था. इसमें 26 सीटों पर भाजपा और 22 सीटों पर शिवसेना लड़ी थी. इसके बाद हुए विधानसभा चुनावों में सीटों के बंटवारे को लेकर दोनों पार्टियां आमने सामने आ गई थीं और अलग अलग चुनाव लड़ा था. हालांकि बाद में शिवसेना भाजपा सरकार में शामिल हो गई थी. भाजपा ने 260 सीटों पर चुनाव लड़ा था. इसमें उसे 122 सीटें मिलीं थीं. वहीं शिवसेना ने 282 सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन उसे 62 सीटें ही मिली थीं.
1995 का फॉर्मूला चाहती शिवसेना
शिवसेना के अनुसार, वह पुराने फॉर्मूले पर लौटना चाहती है. 1995 में शिवसेना की लोकप्रियता चरम पर थी. तब वह 288 सीटों में से 171 पर लड़ती थी और भाजपा 117 सीटों पर चुनाव लड़ती थी.