उत्तराखंड के टेहरी गढ़वाल जिले के पंतवारी गांव में ‘आलिया’ और ‘श्रद्दा’ नाम की दो बकरियों और ‘कंगना’ नाम की एक भेड़ का रविवार (11 मार्च) को स्वयंवर कराया गया। स्वयंवर में दूल्हा बने 10 बकरों और 5 भेड़ों ने अपनी किस्मत आजमाई। बकरियों को दूल्हा बने बकरों के पास ले जाया गया फिर उनकी प्रतिक्रिया देखते हुए तीन आदमियों की ज्यूरी ने विजेताओं को चुना। इसके बाद शादी की रस्में निभाई गईं। बकरियों और भेड़ों को अग्नि के फेरे भी कराए गए। इसके बाद उन्हें शादीशुदा घोषित कर दिया गया। खबर के मुताबिक पंतवारी में ग्रीन पीपल नाम की संस्था ने बकरी स्वयंवर कराया। संस्था की तरफ से कहा गया कि स्वयंवर लोगों का मनोरंजन करने के लिए किया गया, लेकिन इसका मुख्य उद्देश्य लोगों को उत्तराखंड में पहाड़ी बकरियों और भेड़ों के जीन पूल में सुधार करने और प्रजनन के सही तरीकों के बारे में शिक्षा देने का था।
संस्था के संचार प्रमुख मणि महेश ने बताया- ”वर्तमान में लोग मांस के लिए बकरी पालन करते हैं, इससे एक बार के लाभ का अवसर मिलता है। लेकिन हम उन्हें इसलिए भी प्रोत्साहित कर रहे हैं कि वे दूध के लिए भी बकरी पालन कर सकते हैं, जो कि ज्यादा मुनाफे का सौदा है।” इसके अलावा संस्था पारंपरिक खाद्यान्न और कृषि को भी राज्य में पर्यटन के अवसर भुनाने के लिए बढ़ावा दे रही है।
पशुपालन विभाग के एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर बताया- ”पहाड़ों में स्थानीय बकरियों में प्रजनन वर्षों से एक बड़ी समस्या बनी हुई हैं, इससे कमजोर बकरियां सामने आ रही हैं। इसके अलावा वैज्ञानिक प्रजनन और बकरी पालन में और क्या खासियतें जोड़कर मुनाफा कमाया जा सकता है, इस बारे में लोग अनभिज्ञ हैं। संस्था ने इस साल यह दूसरा बकरी स्वयंवर कराया। इस मौके पर करीब 500 स्थानीय बकरियों और भेड़ों की प्रदर्शनी भी रखी गई। मौके पर 25 बकरी पालन विशेषज्ञों की टीम ने कार्यकर्म में पहुंचे करीब 750 बकरी पालकों को बकरी पालन के वैज्ञानिक तरीकों की शिक्षा दी।