Upendra Kushwaha: The colonial system is a black spot on the democracy of India …
केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिये कॉलेजियम व्यवस्था में पारदर्शिता का अभाव है और यह भारतीय लोकतंत्र पर काला धब्बा है. उन्होंने उच्चतर न्यायपालिका में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और दलित समुदाय के लोगों को अधिक प्रतिनिधित्व दिये जाने का आह्वान किया. केंद्रीय मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री के अनुसार उच्चतर न्यायपालिका में नियुक्तियां अपारदर्शी और अलोकतांत्रिक तरीके से की जाती हैं.
राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) नेता ने कहा कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और दलितों के लिये द्वार बंद हैं. यहां तक कि न्यायाधीश बनने के इच्छुक मेधावी छात्रों के लिये भी दरवाजे बंद हैं. हम चाहते हैं कि दरवाजे खुलें. इस मुद्दे पर यहां एक अभियान शुरू करते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि कॉलेजियम व्यवस्था के तहत लोग भाई-भतीजावाद में शामिल हैं और न्यायाधीश सिर्फ अपने उत्तराधिकारियों को चुनने के लिये चिंतित हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि अगर एक चाय विक्रेता प्रधानमंत्री बन सकता है और एक मछुआरा समुदाय का बेटा देश का राष्ट्रपति बन सकता है तो क्यों कमजोर तबके को उसके अधिकारों से वंचित किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि मौजूदा स्वरूप में कॉलेजियम व्यवस्था भारतीय लोकतंत्र पर काला धब्बा है.