भारतीय पौराणिक कथाओं के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन मध्य रात्रि में भगवान शिव लिंग के रूप में प्रकट हुए थे। ऐसा माना जाता है कि शिव लिंग की पूजा सबसे पहले भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी के द्वारा की गई थी। इसी के साथ हिंदू धर्म में वार्षिक, मासिक और साप्ताहिक सभी त्योहारों का महत्व होता है। इसी के साथ हिंदू धर्म में महादेव को देवों का देव माना जाता है। भगवान शिव को साप्ताहिक त्योहारों में सोमवार का दिन समर्पित होता है। मासिक त्योहारों में शिवरात्रि का व्रत और पूजन का महत्व माना जाता है। शिवरात्रि भगवान शिव और शक्ति के अभिसरण का पर्व माना जाता है। हिंदू पंचाग के अनुसार हर माह कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी की तिथि को मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है।
पौराणिक कथा के अनुसार भगवान शिव के क्रोध के कारण पूरी पृथ्वी जलकर भस्म होने ही वाली थी कि माता पार्वती ने भगवान शिव की प्रार्थना करके उन्हें प्रसन्न किया और उनका क्रोध शांत किया। इस मान्यता के कारण हर माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन भगवान शिव की अराधना की जाती है। इस दिन को शिव रात्रि कहा जाता है। माना जाता है शिव रात्रि का व्रत करने वालों के सभी दुख का अंत हो जाता है। इसी के साथ संतान प्राप्ति, रोगों से मुक्ति के लिए शिवरात्रि का व्रत किया जाता है।
इसके साथ एक कथा ओर प्रचलित है कि एक बार भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी के बीच मतभेद हो जाता है। मतभेद इस पर होता है कि दोनों में से श्रेष्ठ कौन है। इस बात का हल निकालने के लिए भगवान शिव के एक अग्नि स्तंभ के रुप में प्रकट होते हैं और विष्णु और ब्रह्मा जी से कहते हैं कि बताएं इस प्रकाश स्तंभ का सिरा कहा है तब भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी को अपनी गलती का अहसास हुआ और दोनों ने भगवान शिव से क्षमा मांगी। इसलिए माना जाता है कि शिव रात्रि के दिन भगवान शिव का पूजन करने से मनुष्य का अहंकार खत्म हो जाता है।